सिंघु बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में शामिल एक और किसान की रविवार सुबह मौत हो गई। किसान कैथल के गांव भागल का रहने वाला था और पिछले एक महीने से यहां था। किसान की मौत सामान्य बताई जा रही है। न तो उसका पोस्टमार्टम हुआ और न ही मौत की सूचना पुलिस को दी गई। तीन कृषि कानूनों को रद्द करने और एमएसपी की गारंटी देने की मांग को लेकर कुंडली-सिंघु बॉर्डर पर किसान पिछले करीब एक साल से बैठे हैं। बॉर्डर पर गाहे बगाहे किसी न किसी कारण से किसानों की मौत की सूचना आती रहती है। रविवार सुबह भी एक किसान की मौत हो गई।
आंदोलन में शामिल होने के लिए गांव भागल, तहसील गुहला चीका, कैथल के किसान भी यहां पहुंचे हुए हैं। उन्होंने अपना टेंट टीडीआई गेट के सामने लगाया हुआ है। रविवार सुबह 3 बजे के करीब गांव भागल के मेवाराम पुनिया की की मौत हो गई साथी किसानों ने बताया कि मृतक के किसान की आयु करीब 75 साल थी। वह पिछले 1 महीने से लगातार यहां आंदोलन में शामिल था। कई दिन से उसकी तबीयत खराब चल रही थी और रविवार सुबह उसकी सामान्य अवस्था में मौत हो गई। गांव के किसान जिनमें उसके परिवार के लोग भी शामिल थे,उसके शव को गांव ले गए।
किसानों ने की नारेबाजी
किसान मेवा सिंह की मौत की सूचना आसपास के किसानों को लगी तो वहां पंजाब और हरियाणा के किसान बड़ी संख्या में एकत्रित हो गए। किसानों ने मेवा सिंह की मौत पर संवेदना जताई, श्रद्धांजलि दी और इसके बाद किसानों ने केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। किसान एकता और किसान जिंदाबाद के नारे यहां खूब लगाए गए।
किसानों से पहुंचने की अपील
किसानों ने सोशल मीडिया पर पर जानकारी दी कि भागल गांव के मेवा सिंह सिंघु बॉर्डर पर शहीद हो गए हैं। उनका एक फोटो भी जारी किया गया जिसमें वह मृत हालत में दिख रहा है और उसके सिरहाने भाकियू का झंडा भी लगा हुआ है। किसानों ने बताया कि कि सुबह 11 बजे गांव में उसका अंतिम संस्कार किया जाएगा और इस दौरान अधिक से अधिक किसानों के पहुंचने की अपील की गई।
न पोस्टमार्टम न पुलिस को सूचना
मेवा सिंह की मौत को सामान्य बताते हुए उनके परिवार के सदस्य उसके शव को बिना पोस्टमार्टम कराए ही गांव भागल ले गए। थाना कुंडली प्रभारी इंस्पेक्टर रवि ने बताया कि किसान की मौत की कोई सूचना पुलिस को नहीं दी गई। पुलिस छानबीन कर रही है। कुछ संदिग्ध मिला तो कार्रवाई की जाएगी।
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