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शहर में बुक स्टोर पर बच्चों के साथ एक अभिभावक कक्षा छठी की किताबें खरीदनी पहुंचे। स्कूल का नाम पूछने पर जब सैट आ गया और रेट पूछा तो दाम हैरान करने वाले हैं। कक्षा छठी कि किताबें 3400 रुपए की। इसमें स्कूल डायरी शामिल नहीं व अलग से खरीदनी होगी।
ऐसे में अभिभावक ने कहा एनसीईआरटी कि किताबें 1300 रुपए तक आ जाएंगी तो दुकानदार ने एक टका से जबाव दिया, अगर आपको अपने बच्चे को एनसीईआरटी की किताब पढ़ानी हैं तो आप उसे सरकारी स्कूल में दाखिला दिलवा दो प्राइवेट में पढ़ाना है तो महंगी किताबें खरीदनी पड़ेंगी।
मजबूरी में बच्चों के संग आए अभिभावक को किताबें खरीदनी पड़ी। इसी तरह अभिभावकों को इन दिनों किताबों और ड्रेस को लेकर स्कूलों की मनमानी झेलनी पड़ रही है। नियम अनुसार निजी स्कूलों ने इस साल के फीस स्ट्रक्चर का ब्यौरा भी शिक्षा विभाग को नहीं दिया है। 173 निजी स्कूल में से 42 ने ही फार्म 6 भरकर शिक्षा विभाग को दिया फीस स्ट्रक्चर ब्यौरा दिया है।
अभिभावकों को निर्धारित बुक सेलर से किताबें और बच्चों की ड्रेस भी निर्धारित दुकान से ही लेने के लिए बाध्य किया जा रहा है। वहां भी दो से चार हजार रुपए की ड्रेस का बिल थमा दिया जाता है, यह पूरे साल की नहीं सिर्फ सीजन की ड्रेस होती है। शहर में छह ऐसे स्थान है जहां स्कूलों की ओर से दुकानें अलाट की हुई है। मसलन गुडमंडी व मिशन रोड पर तीन दुकानें हैं।
यह फर्क बताता है क्यों अभिभावक ठगा महसूस करते हैं
सीधी बात नवीन गुलिया, डिप्टी डीईओ
Q. अभिभावकों का आरोप है कि किताबें एवं ड्रेस को लेकर निजी स्कूल मनमाने दाम वसूल कर रहे हैं A. विभाग के पास ऐसी कोई शिकायत नहीं है। Q. हर साल किताबें बदली जाती है, और रेट भी बढ़ाए जा रहे हैं A. कोई भी अभिभावक शिकायत करें, उसकी शिकायत पर संबंधित बीईओ से जांच करवाएंगे। Q. एनसीईआरटी किताबें ही क्यों नहीं लागू की जा रही A. इस संदर्भ में निर्देश दिए हुए हैं, देखना होगा कौन सा स्कूल इसकी अवहेलना कर रहा है।
फाॅर्म 6 में नए सत्र की फीस का ब्योरा होता है
सोनीपत में 173 स्कूल पंजीकृत हैं। इसमें से अब तक सिर्फ 42 ही स्कूल ऐसे हैं जिन्होंने फाॅर्म 6 शिक्षा अधिकारी कार्यालय में जमा करवाया है। इस में नए सत्र में कक्षा अनुसार फीस का ब्यौरा दिया जाता है। यह हालात तब है।
जब शिक्षा विभाग की ओर से दो बार मोहलत बढ़ाई जा चुकी है। पहले स्कूलों को 31 दिसंबर तक का समय दिया गया था। इसके बाद भी 31 मार्च तक का समय दिया गया, लेकिन विभागीय आदेशों के प्रति 131 स्कूल ने कोई संजीदगी नहीं दिखाई है। ऐसे स्कूलों को अब विभाग की ओर से नोटिस दिए जाएंगे।
नियम 134ए पर अब तक नहीं फैसला
विभाग की ओर से लगातार दूसरी साल नियम 134ए को लेकर कोई फैसला नहीं किया है। जिससे सोनीपत के करीब 15 हजार अभिभावकों की टेंशन बरकरार है। पिछले साल फार्म जमा करवाने के बाद भी सुविधा से वंचित रहे विद्यार्थियों को राहत इस साल टेंशन और बढ़ रही है। विभागीय अधिकारी मनोज वर्मा ने बताया कि विभाग की ओर से तैयारी है कि सिर्फ राजकीय माडल संस्कृति स्कूलों तक सीमित हो सकता है।
निजी स्कूल से 134ए खत्म होने की स्थिति हजारों मेधावी विद्यार्थी निजी स्कूलों में दाखिले से वंचित हो जाएंगे। यहां गजब टेंशन यह भी कि एक ओर जहां 10 अप्रैल अंतिम आवेदन तिथि है जबकि खुद राजकीय स्कूलों में 23 अप्रैल तक ताे परीक्षाएं हो रही है।
दुकाने एक रखने के पीछे यह है तर्क
एक बुक सेलर प्रवीन बत्रा ने बताया कि एक ही दुकान पर किताबे एवं ड्रेस आदि देने के पीछे अहम वजह यह है कि विद्यार्थी एवं अभिभावकों को भटकना नहीं पड़ता। हर स्कूल का ड्रेस का डिजाइन भी अलग-अलग है।
इसके साथ अलग-अलग दुकानों पर कंपीटिशन में कपड़ों की क्वालिटी को लेकर सवाल उठ सकता है। इस बार अभिभावकों को राहत यह भी है कि यदि कोई अभिभावक किताबें वापस लौटना चाहे तो 15 से 30 अप्रैल तक लौटा सकता है, बशर्ते उस पर कुछ लिखा नहीं हो।
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