देरी से आए मानसून ने राहत तो दी, लेकिन व्यवस्था की पोल खोल दी है। बुधवार को जिले में औसतन 31 एमएम बारिश हुई। इसके बाद भी जलभराव की स्थिति हो गई। इस पानी की निकासी में ही 4 घंटे लगे। इसके लिए निर्माणाधीन ड्रेन का डायवर्जन तोड़ना पड़ा। विभागीय दावे कुछ भी हों, लेकिन वैसे सोनीपत में 50 एमएम बारिश जल भराव होते हैं।
इस साल तो न जल निकासी की क्षमता बढ़ा गई। इसके अलावा ड्रेनों और नालों की सफाई भी पूरी नहीं हुई। अब इसका काम बंद ही रहेगा। इससे अगर औसत बारिश भी हुई तो लोगों को कई घंटे जलभराव झेलना पड़ेगा। बुधवार सुबह दस बजे के बाद ही बारिश का दौर शुरू हो गया। दिनभर रह-रहकर बरसात होती रही। सबसे ज्यादा 75 एमएम बारिश होने पर खरखौदा में बिजली निगम कार्यालय में ही पानी भर गया।
सोनीपत में 30 एमएम बारिश में ही गीता भवन व दयाल चौक पर जलभराव से दुकानें बंद करनी पड़ी। इसके साथ ही गन्नौर में 25, गोहाना में 5 और राई में 56 एमएम बारिश दर्ज की। हालात को देखते हुए ड्रेन-6 का निर्माण कार्य रोक दिया गया है और पानी निकासी के लिए साइड में बनाए डायवर्जन को तोड़कर सीधे ड्रेन से ही शुरू किया।
दिनभर चले बूस्टिंग स्टेशन, कर्मी मैदान में उतरे : निगम जॉइंट कमिश्नर, मेयर निखिल मदान व एसडीओ पानी निकासी के लिए जुटे रहे। जेसीबी से ठेकेदार ने अलग-अलग पॉइंट हटाए। सीवरेज सफाई नहीं होने से दिक्कत ज्यादा है। निगम के पास कुल 43 वर्कर है, जिनसे निगम के जेई सीवरों की सफाई और ड्रेनेज की सफाई का कार्य करते हैं। निगम को 150 कर्मियों की जरूरत है।
हकीकत : 4 घंटे तो जलभराव झेलना ही है
शहर में ड्रेन-6 जल निकासी का मुख्य चैनल है। इसके अलावा राठधाना में 35 एमएलडी व ककरोई रोड 25 एमएलडी के एसटीपी में सीवरेज जाता है। शंभु दयाल बूस्टिंग स्टेशन, सेक्टर 23, ककरोई रोड बूस्टिंग स्टेशन हैं। इनसे 30 एमएम बारिश के पानी की निकासी में चार घंटे तक लगते हैं। बरसात 60 एमएम हुई तो आठ घंटे से ज्यादा समय लगेगा।
ग्राउंड रिपोर्ट : बाजार में बंद करनी पड़ी दुकानें
जल निकासी के काम नहीं पूरे जो बनेंगे जल भराव के कारण-
ड्रेन का पांच साल 28 प्रतिशत हुआ काम
शहर के बीच से निकली ड्रेन-6 के 4.9 किमी हिस्से को मैच बॉक्स आकार में कवर करने की रूपरेखा 2016 में बनी। नगर निगम ने एमएस गर्ग एजेंसी को 88 करोड़ की लागत से 27 सितंबर 2017 को कार्य अलॉट कर दिया था, सही तरीके से मार्च 2018 में शुरू हो सका। ठीक काम न होने पर निगम ने 8 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाकर एजेंसी से काम वापस लिया गया। नगर निगम ने दोबारा से टेंडर दिया। दूसरा टेंडर 96 करोड़ में पिछले साल अगस्त माह में हुआ। अभी 28 प्रतिशत काम हुआ है।
अमरुत का 62 करोड़ का सीवरेज प्रोजेक्ट 15% बाकी
अमरुत योजना के तहत शहर में सीवरे लाइनों की इंटर कनेक्टिविटी व नई लाइन दबाने के लिए 62 करोड़ से अधिक खर्च से काम चल रहा है। 15 प्रतिशत काम अभी भी बाकी है। फाजिलपुर बिजली घर के पास मुख्य लाइन दबाने के लिए जगह का पेंच अभी भी बिजली निगम व नगर निगम अधिकारियों के बीच फंसा है।
सात साल से धंसी ककरोई रोड एसटीपी की लाइन
रेलवे लाइन से गोहाना की तरफ बसे शहर के सीवरेज निकासी के लिए ककरोई रोड पर 25 एमएलडी का सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट तो बना, लेकिन मुख्य लाइन सात साल बाद भी बंद है। लाइन धंस गई, बार बार टेंडर के बाद भी नहीं बनी। अब निगम ने 5 करोड़ का टेंडर है, लेकिन काम छह माह लेट हैं। इस साल पूरे होने की संभावना भी नहीं है।
अधूरी सफाई और अधूरी व्यवस्था
शहर में पानी निकासी के लिए 37 किमी लंबे नालों का ड्रेनेज सिस्टम और 300 किमी लंबी सीवरेज लाइन हैं। लेकिन इनकी सफाई आधी अधूरी है। दो साल पहले जनस्वास्थ्य विभाग के पास यह व्यवस्था थी। वहां से डेपुटेशन पर आए कर्मियों में ज्यादातर वापस चले गए हैं। निगम कर्मियों को पूरी व्यवस्था का सही ज्ञान नहीं है। पानी भरने पॉइंट ढूंढने में हीं दिक्कत है।
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