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किसानी करने में महिलाएं भी पुरुषों के बराबर हैं, इसकी एक झलक कुंडली बॉर्डर पर देखी गई। सोमवार को महिला किसान दिवस मनाया गया तो यहां पूरा माहौल ही बदला हुआ नजर आया। हम जब यहां पहुंचे तो देखा कि हर जगह महिलाओं ने मोर्चा संभाला रखा था। मंच की कमान हो या फिर लंगर में सेवा देना, सब काम महिलाओं ने अपने जिम्मे लिया हुआ था।
यहां तक की सुरक्षा की जिम्मा भी महिलाओं के हाथों में था। इस बीच हमने देखा कि हरियाणा से आईं महिलाएं सांस्कृतिक रंग बिखेर रही थीं। आंदोलन के गीतों को गाते हुए ट्रॉलियों में यहां पहुंचीं। तभी एक पंजाब से बस आती दिखी। इसमें छत पर बैठी महिलाएं किसान जिंदाबाद के नारे लगा रही थीं। महिलाओं का ऐसा जोश देखकर हमने उनसे बात करनी चाही और उन्होंने भी पूरी बेबाकी के साथ अपने विचार साझा किए।
किसान आंदोलन पर बनाए गीतों से मनोरंजन, केंद्र सरकार पर कसे तंज
कुंडली, हम हिंदुस्तानी नारी हैं। जब करवा चौथ का उपवास रख सकती हैं तो सरकार के खिलाफ भूख हड़ताल करने में भी सक्षम हैं। इसका संदेश देते हुए महिला किसान दिनभर भूख हड़ताल पर रहीं।
पति के कंधों पर बंदूक, मेरे पर फावड़ा
पटियाला से आंदोलन में पहुंचीं गुरविंद्र कौर ने बताया कि 17 साल से पति फौज में है। दो बेटियां हैं। पति सरहद पर कंधे पर बंदूक लिए देश की सुरक्षा कर रहे हैं और मैं अपने खेती संभाल रही हूं। गांव में महिलाओं के जाने की मुनयादी हुई तो हक के लिए आ गई।
पति संग खेतों में बराबर काम करती हूं
पंजाब के भांकर गांव की परमजीत कौर ने कहा कि बेटा कनाडा में है। घर पर मैं और पति ही हैं। मैं बराबर पति के साथ खेतों में काम करती हूं। मेरे पूर्वज किसान रहे हैं। किसानों के लिए सही व गलत क्या है, इसकी समझ है। इसीलिए विरोध करने आई हूं।
मैं पैसों से सहयोग नहीं कर सकती, पर साथ खड़ी हूं
डेढ़ साल के बच्चे के साथ कुंडली पहुंची हरियाणा के सिरसा से मंजीत कौर ने कहा कि हम खेती करके ही गुजारा करते हैं। किसान आंदोलन में हर कोई भागीदारी दे रहा है। मैं पैसों से सहयोग नहीं कर सकती, इसीलिए यहां पहुंच कर सेवा करने आई हूं।
पति ताउम्र खेती करते दुनिया से चले गए
हरियाणा के ही फतेहाबाद से आईं 75 वर्षीय फूली देवी ने बताया कि मेरे पति ताउम्र खेती करते हुए ही इस दुनिया से चले गए। मैंने भी उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर बराबर खेतों में सहयोग किया है। हालांकि, अब मेरा बेटा खेती संभाल रहा है। जब गांव से आती हुईं महिलाओं को देखा तो मैं भी उनके साथ हो ली।
तमिलनाडु से आईं 30 से ज्यादा महिलाएं
महिलाओं से बातचीत के बाद कुछ और समय जब यहां गुजारा तो देखा कि तामिलनाडु के सोशल संगठन पीपल्स पावर से जुड़ीं 30 से ज्यादा महिलाएं यहां पहुंचीं। उनमें से एक लता कहने लगीं कि कृषि कानून भी किसानी के लिए सही नहीं हैं। वह पुरुषों की तरह यहां रहकर आंदोलन का हिस्सा बनी रहेंगी।
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