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यमुनानगर में भाकियू किसानों का प्रदर्शन:शामलात-देह और जुमला मुश्तरका जमीनों का मामला; आंदोलन करने की चेतावनी दी गई

यमुनानगर10 महीने पहले
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यमुनानगर में सरकार के आदेशों के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए भाकियू नेता। - Dainik Bhaskar
यमुनानगर में सरकार के आदेशों के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए भाकियू नेता।

हरियाणा के यमुनानगर में किसानों ने एक बार फिर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। हरियाणा सरकार के आदेशों पर जुमला-मुश्तरका और शामलात-देह भूमि को पंचायतों और नगर निगम के नाम करने के मामले में किसानों ने आंदोलन की राह पर चलने की तैयारी की है। किसानों ने ब्लॉक स्तर पर सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए अधिकारियों को ज्ञापन सौंपे और सरकार को स्पेशल विधानसभा सत्र बुलाकर इन जमीनों को किसानों के नाम मालिकाना हक देने की आवाज उठाई, ऐसा नहीं होने पर किसान आंदोलन की तरह एक बार फिर बड़ा आंदोलन खड़ा करने की चेतावनी दी।

मांगों को लेकर किसानों ने सौंपा एसडीएम ज्ञापन

हरियाणा सरकार द्वारा जुमाल-मुश्तरका जमीनें और शामलात-देह भूमि का किसानों से मालिकाना हक छिनने के फैसले के बाद किसानों ने प्रदर्शन करने शुरु कर दिए हैं। भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने यमुनानगर पहुंच कर किसानों को सरकार के इस आदेश के खिलाफ आवाज उठाने का आह्वान किया था। इसके बाद सोमवार को ब्लॉक स्तर पर किसान एकत्रित हुए और अधिकारियों को उनका जमीनी मालिकाना हक दिलवाने के लिए सरकार के नाम ज्ञापन सौंपा। यमुनानगर जिला सचिवालय पहुंचकर किसान यूनियन के सदस्यों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और एसडीएम को अपना मांग-पत्र सौंपा।

यमुनानगर डीसी कार्यालय पहुंचे प्रदर्शन करते हुए किसान नेता।
यमुनानगर डीसी कार्यालय पहुंचे प्रदर्शन करते हुए किसान नेता।

विधानसभा का स्पेशल सत्र बुलाकर संशोधन करने की मांग

किसानों ने बताया कि वे कई दशकों से अपनी पुश्तैनी जमीनों पर काश्तकारी कर रहे हैं। तकसीम करवाने में ज्यादा खर्च आने की वजह से करीब 80 फीसदी किसानों की जमीनें मुश्तरका खातों में हैं। जमीनों की खरीद-बेचने से लेकर रहन तक का काम सरकारी नियमानुसार होता आया है। सरकार ने 1992 में एक्ट 1961 के तहत संशोधन करते हुए मुश्तरका मालिकान जमीनों को पंचायती करार दिया था।

लेकिन किसानों ने हाईकोर्ट में इसे चुनौती दी, जिसका फैसला किसानों के हक में आया। साथ ही इसके बाद सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची और सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सरकार के पक्ष में दिया जो की किसानों के लिए न्याय संगत नहीं है। इसलिए सरकार को चाहिए की विधानसभा का स्पेशल सत्र बुलाकर इसमें संशोधन किया जाए ।

किसानों की सरकार को चेतावनी

किसानों के मुताबिक, इस आदेश के अनुसार कई किसानों को जमीनें खाली करने के नोटिस भी आ चुके हैं। क्योंकि कई जगह जमीनें पंचायतों और निगम के नाम कर दी गई हैं। फिलहाल किसानों ने इस फैसले के विरोध में बड़ा आंदोलन की चेतावनी दे दी है। देखना होगा आखिर किसान अगला क्या कदम उठाते हैं।