किसान 15 मई के बाद धान की पनीरी की बिजाई कर सकते हैं। अगर नर्सरी की बिजाई से पहले बीजोपचार किया जाए तो फसल में आने वाली विभिन्न बीमारियों से बचा जा सकता है। खंड कृषि अधिकारी डॉ. राकेश अग्रवाल ने बताया कि नर्सरी की बिजाई से पहले किसान बीजोपचार जरूर करें, ताकि धान की फसल में आने वाले विभिन्न रोगों की रोकथाम की जा सके। बीजोपचार से फसल के उत्पादन व गुणवत्ता में भी सुधार आता है। उन्होंने बताया कि बीजोपचार न करने पर फसल में बीमारियां आने की संभावनाएं बढ़ जाती है। डॉ. राकेश ने बताया कि किसान बाजार से महंगे दामों पर बीजों की खरीददारी करने की बजाएं बीजोपचार कर घर के बीज की बिजाई कर सकते हैं।
10 किलोग्राम धान के बीज में दस लीटर पानी के साथ एक किलोग्राम नमक डालें। बीज को हाथ से अच्छी तरह हिलाएं। थोड़ी ही देर में हल्का व गुणवत्ता रहित धान पानी के ऊपर तैरने लगेगा। उसे उतारकर बाहर फेंक दे। फिर बीज को साफ पानी में पांच से छह बार अच्छे से धोएं, ताकि धान से नमक का असर खत्म हो जाए। बाद में दस लीटर पानी में छह ग्राम एमीसान व एक ग्राम स्टेप्रोसाइक्लीन मिलाकर घोल बनाएं। इस घोल में धान का बीज डाल दें। करीब चौबीस घंटे तक धान का बीज घोल में पड़ा रहने से बीज उपचरित हो जाएगा।
शाम के समय ही नर्सरी की सिंचाई करें किसान | किसान शाम के समय ही पनीरी में हल्का व ताजा पानी दें। बिजाई के तीन दिन बाद नर्सरी में दीमक की दवाई डालें। नर्सरी में समय-समय पर खरपतवार रोधी दवाई डालें, ताकि खरपतवार के कारण नर्सरी प्रभावित न हो। नर्सरी के बढ़ने पर रात के समय उसमें पानी जमा न रहने दें।
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