राजकीय स्कूलों में तकनीकी शिक्षा के लिए सरकार ने टैबलेट मुहैया करा दिए। एजुसेट पहले ही लगे हुए थे। मगर शिक्षा विभाग विद्यार्थियों की बुनियादी सुविधा डेस्क की कमी को आज तक पूरा नहीं कर सका है। अब निदेशक शिक्षा विभाग ने सभी डीईओ को लेटर भेजा। डीईओ ने स्कूलों से पहली से 12वीं तक विद्यार्थियों की संख्या भेजने के निर्देश जारी किए। सरकारी स्कूलों की ओर से तीन साल पहले डिमांड भेजी गई थी। अभी तक पूरी नहीं की गई। स्कूलों में डेस्क नहीं भेजे गए हैं। डेस्क न मिलने से विद्यार्थी आज भी परेशान हैं। जिले के स्कूलों में डेस्क तो हैं, लेकिन पर्याप्त नहीं हैं। कमी के चलते एक डेस्क पर तीन विद्यार्थी बैठाए जा रहे हैं।
कक्षाओं में डेस्क न होने से जमीन पर बैठकर पढ़ाई होती है। लंबे समय से डेस्क नहीं आने से जो पुराने थे, उनमें से अधिकतर कबाड़ हो गए। जिन्हें स्टोर रूम में रखा गया। अध्यापक रमेश का कहना है कि एक नहीं कई बार ठीक कराए गए। जब ठीक होने की स्थिति में नहीं रहे टूटे बेंच काे स्टोर रूम में रख दिया गया। मॉडल स्कूलों में भी जरूरत |
जिले के स्कूलों में 8515 डेस्क हैं। विद्यालयों व बच्चों की संख्या के सामने नाकाफी हैं। संख्या के लिहाज से देखा जाए तो 10 से 15 हजार डेस्क की आवश्यकता है। विभाग ने डेस्कों की डिमांड मांगी है। इसे लेकर प्रोफार्मा भी दिया है। इसमें बनाए गए दो कॉलम में सिविल वर्क, ड्यूल डेस्क की डिमांड मांगी है। ये भी बताना होगा कि इस समय स्कूल के पास कितने डेस्क हैं। जिनमें से सही स्थिति में कितने हैं। कितने रिपेयर कराए जा सकते हैं। अगर किसी स्कूल ने डेस्क रिपेयर कराए हैं। उसकी संख्या देनी होगी। इसके बाद डिमांड का कॉलम स्कूल प्रिंसिपल भरेंगे।
सिविल वर्क की मांगी जानकारी जिला शिक्षा विभाग ने स्कूलों को प्रोफार्मा भेजकर सिविल वर्क की जानकारी भी मांगी है। इसमें पहली से 12वीं तक के विद्यार्थियों की स्ट्रेंथ, अतिरिक्त क्लास रूम, बाउंड्री वॉल, पेयजल स्थिति, स्कूल परिसर का रास्ता, मंच की स्थिति के बारे जानकारी मांगी है। इनके निर्माण में आने वाली प्रस्तावित कोस्ट भरकर भेजनी होगी।
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