जगाधरी के हनुमान गेट स्थित दिव्य ज्योति जागृति संस्थान आश्रम में रविवार काे साप्ताहिक सत्संग हुअा। साध्वी पूजा भारती ने गुरु महिमा के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि जब-जब धरती पर अधर्म बढ़ जाता है। धर्म की हानि होने लगती है तो परमपिता परमात्मा अपनी संतानों पर दयालु होकर साकार रूप धारण करके धरती पर आते हैं। हर युग में प्रभु ने संसार को तारने के लिए अवतार धारण किए। त्रेता युग में राम बनकर आए, द्वापर युग में श्री कृष्ण बनकर आए। जब प्रभु साकार रूप धारण करते हैं तो उनका एक नाम तारणहार भी होता है, क्योंकि कई जन्मों से संसार के मोह बंधनों में भटकती हुई जीव आत्मा को प्रभु अपनी कृपा से मानव तन प्रदान करते हैं।
जीवात्मा को इस संसार के भवसागर से पार उतरने के लिए और जन्म मरण से मुक्ति पाने के लिए एक माध्यम मिल जाता है, लेकिन उस माध्यम को दिशा दिखाने का कार्य केवल ब्रह्मनिष्ठ गुरु ही कर सकते हैं। गुरु के बिना एक मानव का जीवन ऐसा होता है, जैसे बिना खिवैया के पानी में एक नाव हवा और लहरों के थपेड़े खाती भटकती रहती है। अगर उसे चलाने वाला खिवैया हो तो वह उसको एक किनारे से दूसरे किनारे तक सुरक्षित ले जाता है। उसके साथ कई यात्रियों को भी एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाता है। हमारा मानव तन एक नाव के समान है। गुरु इसके तारणहार हैं, जो जीवात्मा पर कृपा करके उसे संसार के भवसागर से निकालकर परमपिता परमेश्वर के धाम तक पहुंचा देते हैं।
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