हिमाचल में राजनीति के हिसाब से महत्वपूर्ण गिने जाने वाले हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र को कांग्रेस हलके में ले रही है। यहां पार्टी प्रत्याशियों के चुनाव प्रचार को मजबूती देने के लिए कांग्रेस की कोई भी बड़ी 'रैली' नहीं होगी। प्रियंका गांधी की हमीरपुर में बड़ी रैली का कार्यक्रम रद हो चुका है। इसके लिए उम्मीदवारों और संगठन की दिलचस्पी वर्कर्स पर कहीं भारी न पड़ जाए, इसकी चर्चा है।
अब ढाई दिन चुनाव प्रचार के शेष रह गए हैं, लेकिन इस दौरान किसी भी बड़े राष्ट्रीय नेता की रैली का जिले में कार्यक्रम नहीं है। गौरतलब है कि भाजपा के स्टार प्रचारकों की जिले के अलग-अलग हिस्सों में ताबड़तोड़ रैलियां हो रही हैं। PM नरेंद्र मोदी की बुधवार को सुजानपुर में रैली प्रस्तावित है।
कांग्रेस के कब्जे में 5 में 3 सीटें
याद रहे, इस जिले में 5 में से 3 सीटें कांग्रेस के कब्जे में हैं। जिनमें से पार्टी के 2 स्टार प्रचारक सुखविंदर सिंह सुक्खू नादौन से पार्टी प्रत्याशी हैं, जबकि राजेंद्र राणा सुजानपुर से उम्मीदवार हैं। बड़सर से लगातार तीसरी बार इंद्र दत्त लखन पाल प्रत्याशी हैं। यह तीनों मौजूदा विधायक हैं। शायद यह तीनों इसी उम्मीद में हैं कि उन्हें अपने-अपने क्षेत्रों में चुनाव प्रचार को और बेहतर बनाने के लिए राष्ट्रीय नेताओं की जरूरत नहीं है।
अपने-अपने क्षेत्रों में कर रहे रैलियां
सुक्खू और राणा प्रदेश में अपने-अपने समर्थकों के चुनाव क्षेत्रों में जनसभाएं करने के लिए भी जा रहे हैं। इन्हें अपने क्षेत्रों में बड़े नेताओं की जरूरत नहीं है, यानी इनके हिसाब से स्थिति अनुकूल है। क्योंकि यह दोनों कांग्रेस पार्टी के स्टार प्रचारकों की सूची में शुमार हैं। वैसे भी सुक्खू तो चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष हैं। इसलिए शायद उन्हें जरूरत नहीं दिखती।
हमीरपुर किसके हवाले
हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस की गुटबाजी टिकट के समय से तो काफी मुखर थी, लेकिन अब यहां परिस्थितियां जैसे-तैसे सामान्य दिख रही हैं। पूर्व विधायक और अब कार्यकारी जिला अध्यक्ष कुलदीप पठानिया की पार्टी प्रत्याशी डॉ पुष्पेंद्र वर्मा की जनसभाओं में मौजूदगी उन्हें राहत निश्चित रूप में दे रही है, लेकिन अहम बात यह है कि हमीरपुर में प्रियंका की जो रैली रद्द हुई, उसके पीछे के कारण भी सवाल उठा रहे हैं। बहाना भले ही एंट्री और एग्जिट रास्ता एक होने का बताया जा रहा है, लेकिन असल में समस्या फाइनेंस की बताई गई है। अब इसमें प्रत्याशी, संगठन और नेतृत्व किस स्तर पर 'चूक' कर गया, इसका पता तो वोटिंग के बाद नतीजे आने पर ही चलेगा।
भोरंज में 32 साल का सूखा कब होगा हरा?
भोरंज विधानसभा क्षेत्र में पार्टी प्रत्याशी सुरेश कुमार मुकम्मल तौर पर सुखविंदर सिंह सुक्खू के भरोसे पर ही सवार हैं। वजह भी साफ है कि उन्हीं के कैंप से वे चौथी बार प्रत्याशी बने हैं। पिछले 32 साल से भोरंज में कांग्रेस का सूखा, हरा होने की आस में है। सुक्खू वहां पर चुनावी जनसभाएं भी समय-समय पर करते आ रहे हैं। मतलब साफ है कि उन्हीं के भरोसे सुरेश की नैया है।
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