PM की रैलियों का बकाया चुकाएगी नई सरकार:20 करोड़ का बिल थमाया गया, मिले सिर्फ 2.45 करोड़, हमीरपुर-सिरमौर के बिल सबसे ज्यादा

विक्रम ढटवालिया/हमीरपुर4 महीने पहले

हिमाचल विधानसभा चुनाव प्रचार के लिए हुईं PM नरेंद्र मोदी की रैलियों का खर्चा अब अगली सरकार ही चुकाएगी, क्योंकि प्रदेश सरकार ने संबंधित जिलों के DC को हिमाचल रोडवेज की पेमेंट की अदायगी के लिए 20 करोड़ जारी किए थे, लेकिन मात्र 2.45 करोड़ ही उसमें से मिल पाए।

अब क्योंकि चुनाव आचार संहिता लागू है तो जितना पैसा DC को दिया गया था, उसमें से कुछ जिलों में तो अभी तक प्राइवेट पार्टी को प्राथमिकता के आधार पर पेमेंट हो गई है। HRTC के बिल पेंडिंग हैं। HRTC पेंडिंग बिलों की अदायगी का इंतजार कर रही है।

कर्मचारी एरियर की पहली किस्त के रूप में 10 करोड़ की तरफ टकटकी लगाए हैं, जबकि नाइट ओवरटाइम के 5 करोड़ के बिलों की अदायगी भी HRTC प्रबंधन के गले की फांस बनी हुई है।

अदायगी की आ रही समस्या
HRTC और अन्य बिलों की पेमेंट के लिए सरकार ने पैसा तो जारी कर दिया, लेकिन इसके खर्चे में जो बढ़ोतरी हुई उसका अनुमान पहले नहीं लगाया गया था, क्योंकि प्राइवेट पार्टी को भी अदायगी होनी थी। इसमें लाखों रुपया हर एक जिला में रैली के लिए चुकाया जाना था, जिसमें टेंट और खाने का खर्चा शामिल था। अब टेंट और खाने के कुछ बिल तो चुका दिए गए।

HRTC सरकार का ही हिस्सा है। उसके बिल पेंडिंग भी हो जाएंगे तो सरकार को क्या फर्क पड़ता है। पेमेंट आज हुई या 2 महीने ठहर कर, सरकारी तंत्र है। हो-हल्ला थोड़े होगा?

हमीरपुर में सिर्फ 44 लाख की पेमेंट हुई
हमीरपुर जिले में 2.86712 करोड़ के करीब बिल बना था, लेकिन अभी तक मात्र 44.10 लाख की पेमेंट ही हो पाई है। यही स्थिति सिरमौर की है। वहां 3.50 करोड़ के बिल का भुगतान होना है। इसमें HRTC का 2 करोड़ से ज्यादा के बिल हैं, लेकिन संबंधित DC को सरकार ने जो पेमेंट भेजी है, वह 1.65 करोड़ की है। अभी सिरमौर जिला में HRTC की पेमेंट हुई ही नहीं। प्राइवेट पार्टी का भुगतान भी होना है, लेकिन सरकार ने जितना पैसा भेजा, उससे गुजारा नहीं होगा। लिहाजा नई सरकार ही अदायगी करेगी।

HRTC प्रबंधन ने यह नोटिस जिला प्रशासनों को भेजा है।
HRTC प्रबंधन ने यह नोटिस जिला प्रशासनों को भेजा है।

18 से 26 हजार तक एक बस की पेमेंट
HRTC ने 200 किलोमीटर तक के सफर के लिए एक बस का किराया कम से कम 18000 रुपए बनाया। इससे ज्यादा की दूरी के लिए एक्स्ट्रा पैसा जोड़ा गया, लेकिन कई जिलों में जिन डिपो को दूसरे डिपो से बसें मंगवानी पड़ीं, उसका एक्स्ट्रा पैसा भी चार्ज किया गया है। क्योंकि बस को अतिरिक्त किलोमीटर का सफर भी तय करके संबंधित लोगों को उठाने के लिए भेजा गया था। इसका खर्चा 25000 से ज्यादा का बना है।

रैली में भेजने के लिए रूट्स भी बुरी तरह डिस्टर्ब हुए, क्योंकि 2 दिन से ज्यादा हर बस को लगा। जिस फोकल प्वाइंट से रैली के लिए लोगों को उठाना था, उसके लिए बस पिछली शाम को ही वहां पहुंचाई गई और फिर तीसरे दिन ही वह लौटकर रूट पर आई। मतलब साफ है कि 3 दिन की ब्रेक के बाद बस को संबंधित रूट पर तैयार किया गया। अब HRTC को पेमेंट करने के लिए प्रदेश सरकार को कम से कम 18 करोड़ और चाहिए है, यह कब मिलेगा? इस पर स्थिति साफ नहीं है।

इस बार HRTC के अधिकारियों और कर्मचारियों को तनख्वाह भी काफी देरी से मिली थी। एरियर और नाइट ओवर टाइम तो मिला नहीं, अगले महीने मिलने वाली तनख्वाह के भी लाले पड़ सकते हैं। क्योंकि बकाया सरकार को ही देना है। इस लिहाज से 10 करोड़ एरियर की पहली किस्त कब मिल पाएगी? इस पर भी भ्रम की स्थिति है। HRTC के मैनेजिंग डायरेक्टर संदीप कुमार का कहना है कि ढाई करोड़ के आसपास का बिल मिल गया है। अभी पेंडेंसी 18 करोड़ के आसपास है। फिलहाल वे इलेक्शन ड्यूटी में गुजरात में हैं। इसलिए लेटेस्ट स्थिति क्या है। इसका ब्यौरा तो नहीं दे सकते, लौटने के बाद ही पता चलेगा।