देहरा में श्रीमद् भागवत कथा का हुआ आयोजन:कृष्ण जन्म पर झूम उठे भक्त, भक्तिमय हुई लखवाल की धरती

देहरा4 महीने पहले
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श्रीमद् भागवत कथा में कृष्ण जन्म हुआ, निकाली गई झांकी। - Dainik Bhaskar
श्रीमद् भागवत कथा में कृष्ण जन्म हुआ, निकाली गई झांकी।

हिमाचल के देहरा विधानसभा क्षेत्र में भडोली के लखवाल में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में कृष्ण जन्म हुआ। द्वापर में भगवान के जन्म पर सभी ने एक दूसरे को बधाई दी और भक्तजन यहां झूमकर नाचे। बुधवार को भगवान श्री कृष्ण का विवाह होगा।

कथा वाचक श्री वी.एल. भारद्वाज ने कृष्ण कथा सुनाते हुए बताया कि वासुदेव देवकी ने कारागृह में रहकर भगवान को प्राप्त किया और कारागृह को कृष्ण मंदिर के रूप में परिवर्तित कर दिया। उन्होंने कहा कि इंसान कर्म से बड़ा होता है।

कर्म को करते हुए यदि मानव ईश्वर को न भूले तो परमात्मा को पा सकता है। उन्होंने कहा कि वासुदेव ने भगवान को बांस की टोकरी में ज्यों ही अपने सर पर रखा उनके हाथ की हथकड़ियां खुल गई, पैर की बेड़ियां टूट गई। जीव जब ब्रह्म से संबंध करता है तो दुनिया के सारे बंधन टूट जाते हैं। उन्होंने ब्रह्म और माया के साथ संबंधों को बताते हुए कहा कि ब्रह्म भक्ति से कई लोग स्वर्गारोहरण कर गए।

कृष्ण जन्म पर यहां झांकी सजाई गई
इधर जब यशोदा मैया ने माया रूपी कन्या को जन्म दिया तो उन्हें नींद लगी थी और पता ही नहीं चला। सो माया से संबंध बनता है तो जीव अचेत हो जाता है। कृष्ण जन्म पर यहां झांकी सजाई गई थी। उत्सव में यहां सुनने आए भक्तों ने खूब नृत्य किया। शुक्रवार को भगवान की बाल लीलाओं का वर्णन किया जाएगा।

श्रीमद् भागवत कथा में जब भगवान कृष्ण का जन्म हुआ तो समूचा पंडाल झूम उठा और मंच पर पुष्प वर्षा की गई। महिलाओं ने बधाई गई तो श्रद्धालु थिरक उठे। पूर्व ‌BDC सदस्य अनिता देवी के घर चल रही श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन श्रीकृष्ण जन्म की कथा का वर्णन किया। कृष्ण जन्म होते ही हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की के स्वर चारों ओर गुंजायमान होने लगे। पंडाल में उत्सव का माहौल नजर आ रहा था।

आचार्य ने कहा कि जब भगवान ने कृष्ण के रूप में धरती पर अवतार लिया तो पृथ्वी लोक पर चारों ओर खुशियां छा गई। लोग उनकी जय जय कार कर उठे। इस आनंद की अनुभूति हमें कुछ समय के लिए ही होती है। कथा के पंडाल में बैठकर लोग ईश्वर के साथ जुड़े और इस आनंद का एहसास करें। हम इस तरह का आनंद नित्य उठा सकते हैं। इसके लिए हमें ईश्वर से संबंध स्थापित करने होंगे। जब तक हमारी भावनाएं ईश्वर के साथ नहीं जुड़ेंगी, तब तक इस आनंद की अनुभूति नहीं होगी।