केंद्र की मोदी सरकार भले ही किसानों की आय दोगुना करने के लाख दावे कर रही हो, लेकिन जमीनी स्तर पर सच्चाई कुछ और ही है। हिमाचल में जिला मंडी के अंतर्गत करसोग में 12-32-16 खाद का संकट चल रहा है। रबी सीजन में किसानों ने मटर सहित गेहूं आदि की बुआई को खेत तैयार कर दिए हैं, लेकिन किसानों को सोसाइटियों के माध्यम से खाद ही उपलब्ध नहीं हो रही है।
हालत ये है कि करसोग स्थित हिमफेड के गोदाम से एक माह पहले 12-32-16 खाद के 4 हजार बैग की डिमांड भेजी गई थी, लेकिन अभी तक सिर्फ 600 बैग खाद ही भेजे गए हैं। जो ऊंट के मुंह में जीरे के समान हैं। ऐसे में 35 हजार किसान परिवारों के सामने अच्छी पैदावार लेने का संकट पैदा हो गया है।
करसोग में 26 सोसाइटियां
करसोग कृषि विकासखंड के तहत 26 सोसाइटियों के माध्यम से खाद उपलब्ध कराई जाती है। लेकिन चिंता की बात है कि बार बार चक्कर काटने के बाद भी किसानों को खाद नहीं मिल रही है। ऐसे में किसान अब बुआई नहीं कर पा रहे हैं। वहीं, सेब के लिए भी बागवानों को 12-32-16 खाद की आवश्यकता है। सर्दियों के मौसम में अब सेब के पौधों के लिए खाद की आवश्यकता रहती है।
10 करोड़ से अधिक का मटर कारोबार
करसोग के तहत अधिकतर क्षेत्रों में रबी सीजन में मटर और गेहूं ली जाने वाली प्रमुख फसलें हैं। हजारों किसान परिवारों की आजीविका इन्हीं दो प्रमुख फसलों पर निर्भर है। कृषि विकासखंड के तहत अकेले 10 करोड़ से अधिक मटर का कारोबार होता है। ममलेश्वर महादेव युवक मंडल के प्रधान युवराज ठाकुर ने सरकार से जल्द खाद उपलब्ध कराए जाने की मांग की है। ताकि किसान समय पर बुआई का कार्य शुरू कर सकें।
हिमफेड की महाप्रबंधक इंद्रा ठाकुर का कहना है कि अभी खाद की एलोकेशन कम हो रही है। गोदामों में जल्द ही खाद की सप्लाई पहुंचाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
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