हिमाचल में जिला मंडी के तहत करसोग का पज्यानु गांव प्राकृतिक खेती की तकनीक को अपना कर दूसरों के लिए रोल मॉडल बन गया है। यहां के किसान सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती की तकनीक से धरती मां की सेवा कर लक्ष्मी कमा रहे हैं। ऐसे में पज्यानु गांव ने प्रदेश के दूसरे किसानों में भी प्राकृतिक खेती की अलख जगाई है।
इसी कड़ी में बिलासपुर जिला से किसानों का दल पज्यानु गांव में मास्टर ट्रेनर लीना शर्मा क़े नेतृत्व में चलाई जा रही प्राकृतिक खेती के टिप्स लेने पहुंचा। यहां लीना शर्मा ने किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए जरूरी घटकों के बारे में जानकारी दी। इस दौरान किसानों को कम लागत में अच्छी उपज लेने के लिए जरूरी घटकों जीवामृत व घन जीवामृत तैयार करने की विधि बताई।
देसी विधि से तैयार कीटनाशकों का छिड़काव
इसके अतिरिक्त किसानों को देसी विधि से तैयार होने वाले कीटनाशकों जैसे ब्रह्मास्त्र, निमास्त्र आदि बनाने के भी टिप्स दिए गए। ताकि देसी विधि से तैयार कीटनाशकों का छिड़काव कर फसलों को कीड़ों सहित अन्य रोगों से बचाया जा सकें। बिलासपुर आए किसानों के दल में महिलाओं की संख्या भी काफी अधिक थी। जिन्होंने मास्टर ट्रेनर लीना शर्मा के साथ खेतों में जाकर प्राकृतिक तकनीक से तैयार की जा रही फसलों की विधि को नजदीक से जाना। बिलासपुर से किसानों का दल कृषि उपनिदेशक रितेश गुप्ता के नेतृत्व में पज्यानु गांव पहुंचा।
4 साल से प्राकृतिक खेती से जुड़े हैं किसान
पज्यानु गांव प्राकृतिक खेती में रातों रात रोल मॉडल नहीं बना। यहां किसान पिछले चार सालों से प्राकृतिक खेती से जुड़ कर धरती मां की गोद को हराभरा कर रहे हैं। किसानों की इसी लग्न और कड़ी मेहनत का नतीजा है कि आज पज्यानु गांव जहर वाली रसायनिक खेती से मुक्त हुआ है। जिसको देखते हुए अन्य जिलों किन्नौर, बिलासपुर, कुल्लू, शिमला, सोलन व सिरमौर से किसानों के दल पज्यानु गांव में प्राकृतिक खेती की बारीकियों को जान रहे हैं।
प्राकृतिक खेती से सुधरी किसानों की आर्थिक सेहत
मास्टर ट्रेनर लीना शर्मा ने बताया कि प्राकृतिक खेती की तकनीक को अपना कर पज्यानु गांव में किसानों की आर्थिक मजबूत हुई है। इस तकनीक से किसान कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा रहे है। उन्होंने कहा कि इसी तकनीक की जानकारी लेने के लिए बिलासपुर से किसानों का एक दल पज्यानु गांव आया है।
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