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मंडी में जीत हुई 'पहाड़' जितनी मुश्किल:10 विधानसभा सीटों में 5 पर मजबूत दिख रही कांगेस, 5 में भाजपा की स्थिति बेहतर

मंडी7 महीने पहले
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हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के 10 विधानसभा हलकों में साल 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस खाता तक नहीं खोल पाई थी, लेकिन इस बार 5 सीटों पर पार्टी कुछ मजबूत दिख रही है। करसोग, बल्ह, सुंदरनगर, सरकाघाट और द्रंग के आरंभिक चुनावी समीकरणों में कांग्रेस को फायदा मिलता दिख रहा है। वहीं सराज, नाचन, धर्मपुर, जोगिंद्रनगर और मंडी हलके में भाजपा बेहतर स्थिति में है।

कुल मिलाकर इस बार मंडी के चुनावी समर में दोनों दलों भाजपा-कांग्रेस में कांटे का मुकाबला देखने को मिल सकता है। साल 2017 के विस चुनाव की बात करें तो जिला मंडी में जयराम ठाकुर का जलवा देखने को मिला और यहां भरपूर ताजगी के साथ कमल खिल उठा। कांग्रेस, यहां 10 सीटों में से एक सीट पर भी जीत नहीं पाई। कांग्रेस पर इस बदतर स्थिति से बाहर निकलने को लेकर भारी दबाव है।

4 सीटिंग विधायकों के टिकट कटे इस बार
सत्ता विरोधी रूझानों की काट के लिए भाजपा ने मंडी जिला में इस बार 4 सिटिंग MLA को टिकट नहीं दिए हैं, मगर उसके इस फैसले ने कहीं न कहीं विरोधी दल कांग्रेस को राहत दी है। द्रंग, करसोग और सरकाघाट में इसका असर महसूस किया जा रहा है। सराज में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का जलवा बरकरार है और यहां पर कांग्रेस सिर्फ अपने पिछले प्रदर्शन में सुधार करने की कोशिश कर सकती है।

नाचन में कांग्रेस के लिए उसके असंतुष्ट नेताओं और सुंदरनगर में भाजपा से बागी हुए अभिषेक ठाकुर ने भगवा खेमे को गहरी चिंता में डाल रखा है। बल्ह में सत्ता विरोधी रूझानों से भाजपा को बचना होगा। मंडी सदर में भाजपा-कांग्रेस के बीच ही निर्णायक जंग होने वाली है। यहां पर तुंगल बेल्ट सुखराम परिवार के साथ चलती आई है। यह चुनावी गणित इस बार भी भाजपा के लिए राहत भरा हो सकता है।

कांग्रेस को हलके में नहीं लिया जा सकता
धर्मपुर हलके में कमल खिलने को लेकर भाजपा आश्वस्त तो है, पर कांग्रेस को इस बार यहां हलके से नहीं लिया जा सकता। जोगिंद्रनगर से टिकट कटने से पूर्व मंत्री गुलाब सिंह ठाकुर नाराज हैं, परंतु यहां पर संजीव भंडारी कांग्रेस से बागी होकर बतौर आजाद प्रत्याशी पर्चा दाखिल कर चुके हैं। वैसे जोगिंद्रनगर के चुनावी रिकॉर्ड से भाजपा को राहत मिली है।

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