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जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति (दिशा) की बैठक केंद्रीय वित्त एवं कॉर्पोरेट राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर की अध्यक्षता में केंद्रीय विश्वविद्यालय के मुद्दे से आरंभ हुई। DFO संजीव कुमार ने बैठक में बताया कि केंद्रीय विवि के लिए जमीन के सिलसिले में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की रीजनल टीम ने देहरा व जदरांगल में 12 फरवरी को निरीक्षण किया था। बैठक में देहरा के सैटेलाइट साउथ कैंपस के लिए 81.7916 हेक्टेयर वन भूमि और धर्मशाला के जदरांगल में प्रस्तावित नॉर्थ कैंपस के लिए चिन्हित वन भूमि की मंजूरी के मामलों पर विचार किया गया।
देहरा में प्रस्तावित इंजीनियरिंग कॉलेज और मेडिकल कॉलेज बनाने की बात कही गई थी, लेकिन अब इसमें बदलाव लाए जाने की बात की जा रही है। रीजनल टीम ने सुझाव दिया है कि केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को जो प्रपोजल स्वीकृति के लिए सबमिट किया गया था, इसमें बदलाव करने से पूर्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से पुनः अनुमति लेनी अनिवार्य होगी। देहरा में लेआउट प्लान के अनुसार निर्माण कार्य शुरू किया जा सकता है। बैठक में बताया गया कि यूजर को लेकर प्रस्ताव गलती से देहरादून भेज दिया, जबकि यह वन मंत्रालय दिल्ली को जाना चाहिए था। गलती से देहरादून चला गया था। इसे केंद्रीय वन मंत्रालय दिल्ली भेजा गया।
देहरा की चिन्हित भूमि का मामला हल हो गया है। देहरा की चिन्हित भूमि 22 फरवरी को यूजर एजेंसी के नाम कर दी गई है। इस भूमि के लिए एक लाख रुपए डायरेक्टर हायर एजुकेशन ने वन विभाग को ट्रांसफर करने हैं। बजट भी अनुराग ठाकुर के सहयोग से 240 करोड़ रुपए उपलब्ध हो गया है। 512 करोड़ रुपए स्वीकृत हो चुके हैं। 12 फरवरी को कमेटी आई थी, कमेटी ने जांच की है। देहरा व जदरांगल में केंद्रीय विवि की स्थापना को लेकर पूरी रुचि के साथ काम किया जा रहा है। दोनों ही जगह पर काम किया जा रहा है, जो सहयोग प्रशासन को केंद्रीय विवि प्रशासन की तरफ से चाहिए, उसे दिया जाएगा।
जदरांगल में प्रस्तावित नॉर्थ कैंपस का जियोलॉजिकल सर्वे करवाना होगा
धर्मशाला के जदरांगल में प्रस्तावित नॉर्थ कैंपस में चिन्हित वन भूमि को मंजूरी देने से पूर्व इस पूरे क्षेत्र का जियोलॉजिकल सर्वे करवाना होगा, जिससे वन भूमि को कम किया जा सके। रीजनल टीम ने कहा कि धर्मशाला में केंद्रीय विवि प्रस्तावित स्कूल/फैकल्टी को जियोलॉजिकल सर्वे की रिपोर्ट के बाद ही अंतिम रूप दिया जाए। चिन्हित भूमि के मध्य निजी भूमि भी है, जिसे सरकार अधिगृहित करे, जिससे पर्यावरण को कम से कम नुकसान हो। वर्तमान में यहां से गुजर रही 6 मीटर चौड़ी सड़क व अधिक ढलानदार है, वह इतने बड़े कैंपस के लिए पर्याप्त नहीं है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की रीजनल टीम ने सुझाव दिया कि इस क्षेत्र की संपर्क सड़कों, सीवरेज व्यवस्था, पेयजल योजना और इसमें जो बदलाव लाने को लेआउट प्लान में सम्मिलित किया जाना चाहिए। निर्माण कार्य में ग्रीन क्षेत्र को चिन्हित करने की आवश्यकता है।
नॉर्थ कैंपस जदरांगल और साउथ कैंपस देहरा लैंड स्टेटस
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) नॉर्म्स के तहत केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए 250 हेक्टेयर भूमि अपेक्षित है। लेकिन हिमाचल पहाड़ी राज्य होने के चलते इसमें बदलाव लाया गया है। नार्थ कैंपस जदरांगल में कुल 303.33. 74 हेक्टेयर भूमि चिन्हित की गई है। इसमें से 24.51.09 हेक्टेयर भूमि केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश के नाम हस्तांरित हो चुकी है। इसके अतिरिक्त 16 भूखंडों में चिन्हित 75.3931 हेक्टर भूमि जिसमें लैंड स्लाइड एरिया व पेड़ हैं। इस भूमि के आस-पास निजी भूमि है जिसके चलते एक भूखंड पर इसका निर्माण संभव नहीं है। देहरा कैंपस के लिए 116.34.77 हेक्टेयर भूमि चिन्हित की गई थी। जिसमें से 34.55.61 हेक्टेयर भूमि नॉन फारेस्ट क्षेत्र था को म्युटेशन नंबर 224 और 727 के तहत 29 अक्टूबर 2010 को ही केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश के नाम हस्तांरित किया जा चुका है।
सांसद बोले, आखिर और कितने वर्ष लगेंगे
कांगड़ा चंबा के सांसद किशन कपूर ने वर्चुअली जुड़कर कहा कि शिलान्यास जदरांगल में हुए सवा दो साल हो गए हैं पर अधिकारियों से यही सुन रहे हैं कि अभी कर रहे हैं। अधिकारी यह बताएं कि इस काम को पूरा होने के लिए कितने वर्ष और लगेंगे। इस पर वन विभाग के डीफएफओ ने कहा कि एफसीए डायवर्सन के लिए अगस्त 2019 को मामला सामने आया था। उसके बाद नोडल अधिकारियों ने जानकारी अपलोड की थी। 240 हेक्टेयर का कोई लैंड यूज नहीं था। 75 हेक्टेयर एरिया रिड्यूस हुआ था।
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