हिमाचल हाईकोर्ट से अतिरिक्त मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना को राहत मिल गई। हाईकोर्ट में आवेदनकर्ता बलदेव शर्मा ने सक्सेना का नाम दागी अधिकारियों की सूची में डालने की मांग की थी। मामले पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान आवेदनकर्ता ने अपना आवेदन वापस ले लिया। इसे हाईकोर्ट ने भी अपनी मंजूरी दी।
आवेदन में ये लगाया था आरोप
आवेदन में आरोप लगाया गया था कि मुख्य सचिव ने प्रबोध सक्सेना का नाम जान बूझकर दागी अधिकारियों की सूची में नहीं डाला। हाईकोर्ट में दागी अधिकारियों की सूची दायर करते समय मुख्य सचिव को पता था कि प्रबोध सक्सेना के खिलाफ आपराधिक मामला लंबित है। प्रबोध सक्सेना को फायदा पहुंचाने के लिए उन्हें संवेदनशील पदोें पर तैनात किया गया। वे हिमाचल सरकार में अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त के पद पर तैनात है।
ये दी गई थी दलील
दलील दी गई थी कि प्रबोध सक्सेना के खिलाफ सीबीआई अदालत दिल्ली में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत मामला दर्ज है। 350 करोड़ के इस मामले में सीबीआई ने सक्सेना के खिलाफ चार्जशीट दायर की है। इसके बावजूद भी उन्हें संवेदनशील पदों पर तैनात किया गया।
2014 में उजागर हुआ था मामला
दागी अधिकारियों को संवेदनशील पदों पद तैनात किए जाने का मामला वर्ष 2014 में उजागर हुआ था। उस समय राज्य सरकार ने संवेदनशील पदों पर तैनात 43 दागी अधिकारियों की सूची अदालत को सौंपी थी। 8 जनवरी 2014 को राज्य सरकार ने अदालत को अवगत करवाया था कि सभी दागी अधिकारियों को संवेदनशील पदों से हटा दिया गया है।
जनहित याचिका निपटारा करते हुए अदालत ने स्पष्ट किया था कि यदि कोई दागी अधिकारी संवेदनशील पद पर तैनात है तो यह मामला अदालत के समक्ष पूर्ण जानकारी के साथ उठाया जा सकता है।
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