चाइनीज एजेंट को नेपाल और हवाला के जरिए पैसा:हिमाचल में कई लोगों को दी पेमेंट, E-बुक खंगाल रहीं खुफिया एजेंसियां

धर्मशाला7 महीने पहले
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दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की टीम ने चीनी महिला काई रूओ को राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में गुरुवार को तिब्बती रिफ्यूजी कैंप मंजनू का टिल्ला से गिरफ्तार किया था। जहां चीनी जासूस से पुलिस को कई दस्तावेज बरामद हुए हैं। वहीं, महिला ने कई चौंकाने वाले राज भी खोले हैं। एक दस्तावेज में उसका नाम डोलमा लामा लिखा हुआ है। इसमें उसका निवास नेपाल की राजधानी काठमांडू

अन्य दस्तावेजों में उसका नाम काई रुओ है। इसमें उसका पता FU XIN रोड चाइना है। आरोपी को चीनी बैंक से नेपाल के जरिए पैसा भारत आता था। ये बात भी सामने आई है कि काई रुओ को चीन से हवाला के जरिए भारत पैसा आ रहा था। उसने हिमाचल में काफी लोगों को पैसा दिया था।

2019 में भी चीन से भारत किया ट्रैवल

चीनी महिला ने पासपोर्ट नंबर E87857750 पर 2019 में चाइना से भारत ट्रैवल किया था। महिला 2019 से मंजनू का टीला स्थित तिब्बती शरणार्थी कॉलोनी में पहचान बदलकर रह रही थी। महिला बौद्ध भिक्षुओं के पारंपरिक गहरे रंग के लाल वस्त्र पहनती थी। उसने अपने बाल भी छोटे कर लिए थे।

अधिकारियों को गुमराह करने की कोशिश

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की टीम ने इस महिला के खिलाफ IPC 120B, 419, 420, 467, 474 और 14 फॉरनर्स एक्ट के तहत केस दर्ज किया है। महिला से पूछताछ की जा रही है। गिरफ्तार चीनी महिला काई रुओ अच्छी तरह से प्रशिक्षित और शातिर महिला है। महिला ने जांच के दौरान खुफिया विभाग के अधिकारियों को गुमराह करने की कोशिश की। उसने कहा कि चीनी कम्युनिस्ट नेता उसे मारना चाहते थे जिसके चलते वह भारत भाग आई।

नेपाल की निवासी होने का दावा

महिला ने पहले दावा किया कि वह नेपाल की रहने वाली है। खुफिया एजेंसियां उसकी E-बुक खंगालने में लगी हुई हैं। महिला ने खुलासा किया है कि भारत में इस काम में चीन के और भी लोग लगे हैं। सुरक्षा एजेंसियां इस बात का पता कर रही हैं कि महिला चीन के लिए क्या-क्या जासूसी कर रही थी।

पैसों का लालच देती

आरोपी महिला ने बताया कि उसे तिब्बती समुदाय के लोगों को प्रभावित करना था। वह तिब्बती समुदाय के लोगों को अपनी बातों से प्रभावित कर रही थी। जो बातों में नहीं आता था तो उसे पैसे देकर अपने पक्ष में कर रही थी। वह ज्यादातर हिमाचल के मैक्लोडगंज में रही थी। बताया जा रहा है कि उसने हिमाचल में रहकर तिब्बती समुदाय के करीब 15 से 20 प्रभावशाली निर्वासित तिब्बतियों व बौद्ध गुरुओं से संपर्क कर लिया था।

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