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शहर के साथ लगते ग्रामीण क्षेत्राें में लाॅकडाउन लगने के करीब 11 महीने से करीब 105 रूट बंद पड़े हुए हैं। इन रूटाें पर एचआरटीसी अपनी बसें नहीं चला रहा है। इसका कारण जहां आर्थिक तंगी से जूझ रहे निगम की ओर से डीजल न भर पाना है, वहीं कई क्षेत्राें में यात्रियाें काे ऑक्यूपेंसी भी कम है। ऐसे में बसाें के रूट बंद हैं। स्कूल काॅलेज खुलने के बाद भी बसें नहीं चलाई जा रही हैं। शाम चार बजे के बाद बच्चाें काे या ताे महंगी टैक्सी किराए पर ले जानी पड़ रही है या फिर पैदल ही घर पहुंचना पड़ रहा है।
शिमला से धामी, सरी, धारी फायल कनेची, सीपुर या शाेघी की कई पंचायताें में बसें नहीं जा रही हैं। जिला शिमला से ग्रामीण क्षेत्राें काे जाेड़ने वाले 50 ताे ऐसे रूट हैं, जाे छाेटे-छाेटे रूटाें काे जाेड़ते हैं। जिससे लाेगाें काे काफी ज्यादा नुकसान हाे रहा है।
कार्यकारी आरएम पवन शर्मा का कहना है कि हम आगामी दिनाें में रूटाें पर बसें चलाना शुरू कर देंगे। कई जगह सवारियाें कमी और आर्थिक संकट के कारण बसें नहीं चला पा रहे थे। अब प्राेसेस शुरू कर दिया गया है।
शिमला से चलने वाले कुछ प्रमुख रूट, जो बंद हैं
बस रूट टाइमिंग 1. शिमला-धामी 8.40 बजे (शाम) 2. शिमला टू टराड़ी, हनुमान मंदिर 4 बजे (शाम) 3. सरी-शिमला 3.40 बजे (शाम) 4. धारी फायल-शिमला 3.10 बजे(शाम) 5. शिमला-कनैची, गाेराे 4.45 बजे (शाम) 6. शिमला -यान 3 बजे (शाम) 7. शिमला-घाेड़ना 1 बजे (दाेपहर) 8.मूलकाेटी-शिमला 8 बजे (सुबह) 9. गड़काहन-शिमला 10.15 बजे (सुबह) 10. सीपुर, मशाेबरा-शिमला 8.15 बजे (सुबह) 11. शिमला-जघून 5.15 बजे (शाम)
स्कूली बच्चे और कामकाजी लोग अधिक परेशान
ज्यादा दिक्कत कामकाजी लोगों काे और स्कूली बच्चाें काे हाे रही हैं। क्योंकि प्राइवेट बसें शहर के अंदर ही अपने रूटों पर चल रही हैं। जबकि सरकारी बसें ग्रामीण रूटाें पर नहीं चल रही हैं। बड़ी मुश्किल यह है कि निजी वाहनों से अगर लाेग निकलते हैं ताे उन्हें पार्किंग के लिए जगह नहीं मिलती है। जबकि बसें न चलने के कारण अब उन्हें पैदल या फिर महंगी टैक्सी हायर करके अपने घर पहुंचना पड़ रहा है।
इसलिए बसें नहीं चला पा रहा एचआरटीसी
लाॅकडाउन के बाद से एचआरटीसी आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। डीजल के लिए पर्याप्त बजट नहीं हैं। इसके अलावा कई रूटाें पर सवारियां भी कम मिल रही हैं। इसलिए बसाें काे नहीं चलाया जा रहा है। कई बसाें के नए टायर बदलने हैं, इसके लिए भी बजट नहीं हैं। इसलिए ग्रामीण रूटाें पर बसें नहीं चला पा रहे हैं।
हम घर कैसे जाएंगे, ये फिक्र किसी काे नहीं
जीवन... शाेघी के रहने वाले जीवन का कहना है कि ये फिक्र किसी काे नहीं है कि देर शाम काे लोग अपने घराें काे कैसे जाएंगे, छाेटे बच्चे भी परेशान हाे रहे हैं। ग्रामीण रूटों पर देर शाम काे जाने वाली बसों काे भी बंद कर दिया गया है। सरकार और एचआरटीसी प्रबंधन ने बड़े दावे किए थे की बसों काे रूटों पर चलाया जाएगा। जबकि हालात बदतर है।
ये एचआरटीसी की मनमानी, बर्दाश्त नहीं होगी
शेर सिंह...मूलकाेटी पंचायत के प्रधान शेर सिंह का कहना है कि एचआरटीसी अपने मनमाने तरीके से बसों काे चला रहा है। शहर के अंदर ताे बसें चल रही, लेकिन ग्रामीण रूट बंद हैं। ऐसे में लोगों काे इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। एचआरटीसी काे सभी रूटों पर बसों काे चलाना चाहिए ताकि लोगों काे राहत मिल सके। पिछले 11 महीने से बसें बंद हैं।
पहले की टाइमिंग काे लागू किया जाए
कमल... सीपुर मशाेबरा के रहने वाले कमल वर्मा का कहना है कि एचआरटीसी की ओर से जाे टाइमिंग तय की गई है, उसे ही लागू करें। लोग पहले ही बसों में सोशल डिस्टेंस का पालन कर रहे हैं। इसके बावजूद भी एचआरटीसी बसों काे रूटों पर नहीं भेज रही है। इस कारण कामकाजी लोगों काे सबसे ज्यादा दिक्कतें हाे रही है।
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