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लाेकतंत्र की सबसे छाेटी संसद पंचायत चुनाव पर किए गए सर्वे में सामने आया है कि ये चुनाव सबसे ज्यादा आपसी रिश्ते खराब करते हैं। हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी के इंटर डिसीप्लीनरी डिपार्टमेंट की ओर से किए गए एक सर्वे में सामने आया है कि प्रदेश के 91.1 फीसदी लाेग मानते है कि पंचायतीराज चुनाव में आपसी रिश्ते खराब हाेते हैं। रिश्ताें में इतनी कड़वाहट आ जाती है कि वे सालाें साल तक रहती हैं।
यहां तक की उम्रभर के लिए आपसी खून के रिश्ते वाले लाेग अलग-अलग हाे जाते हैं। सर्वे 20 दिसंबर से 26 दिसंबर तक किया गया। जिसमें प्रदेश के सभी 12 जिलों के 60 खंडाें की 333 ग्राम पंचायतों से 552 व्यस्क मतदाताओं ने भाग लिया। इसमें 77.2 प्रतिशत पुरूष और 22.8 फीसदी महिलाओं ने हिस्सा लिया।
इस सर्वेक्षण में हिस्सा लेने बाले मतदाताओं में 72 प्रतिशत सामान्य, 15 फीसदी अनुसूचित जाति और 13 फीसदी अनुसूचित जनजाति वर्ग से संबंधित थे। इन प्रतिभागियों में 49.1 युवक या तो छात्र थे या बेराजगार, 24.6 प्रतिशत सरकारी कर्मचारी बाकि सभी कृषि पेशेवर थे। सर्वे ऑनलाइन तरीके से किया गया।
सर्वे में ये तथ्य आए सामने
काेरम पूरा न हाेने की वजह से ग्राम सभाएं नहीं हाे पातीं, इससे विकास कार्यों में पड़ती है बाधा
हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी के इंटर डिसीप्लीनरी डिपार्टमेंट की ओर से किए गए सर्वे में सामने आया है कि अक्टूबर 2019 को प्रदेश की पांच जिलों की पांच दर्जन ग्राम पंचायतों में ग्राम सभाएं हुई। इस ग्राम सभा की 83.1 प्रतिशत और जुलाई 2019 की 72.9 प्रतिशत ग्राम सभाएं कोरम पूरा न होने की वजह से स्थगित करनी पड़ी।
हालांकि, पंचायत चुनाव दलीय राजनीति के आधार पर नहीं होते, लेकिन फिर भी पंचायत प्रतिनिधि दलीय राजनीति से प्रभावित रहतें हैं। जो चुनाव होने के बाद भी आपसी टकराव के कारण पंचायतों के कार्यों में बाधाएं रहती हैं। लाेग बाेले, उम्मीदवाराें की घाेषणा राजनीतिक दल करते हैं।
फिर चुनाव चिह्न पर चुनाव क्याें नहीं हाेते सर्वे में सामने आया है कि पंचायती राज संस्थाओं के चुनावों में जब सभी राजनीतिक दल अपने-अपने पार्टियों से जुड़े उम्मीदवारों खास कर बीडीसी और जिला परिषद की अधिकारिक अधिसूचना करते हैं तो फिर यह चुनाव पार्टी चिन्हों पर क्याें नहीं करवाए जाते। क्याेंकि, इससे एक तो मतदाताओं की धरातल पर राजनीतिक चेतना का विकास होगा, दूसरा ग्रामीण विकास को लेकर पार्टियों की जबावदेही होगी।
हमने सर्वे में पाया कि 91 फीसदी लाेग मानते हैं कि पंचायत चुनाव के दाैरान आपसी रिश्ते ज्यादा खराब हाेते हैं। 50 फीसदी लाेग कहते हैं कि सर्वेसम्मति से उम्मीदवार चुनना संभव नहीं हैं। सर्वे में हमने देखा कि चुनाव हाेने के बाद ग्राम सभाओं के काेरम पूरे नहीं हाेते हैं।
कुछ लाेग कह रहे है कि राजनीतिक दलाें का इन चुनाव पर प्रभाव रहता है, ऐसे में राजनीतिक दलाें के चुनाव चिन्ह पर ये चुनाव हाेने चाहिए। ताकि, विकास के लिए वे उत्तरदायी हाें। सामने आया है कि आपसी रिश्ते इस चुनाव में सबसे ज्यादा खराब हाेते हैं। डाॅ. बलदेव नेगी, संकाय संदस्य, इंटर डिसीप्लीनरी डिपार्टमेंट, एचपीयू
पॉजिटिव- आप अपने व्यक्तिगत रिश्तों को मजबूत करने को ज्यादा महत्व देंगे। साथ ही, अपने व्यक्तित्व और व्यवहार में कुछ परिवर्तन लाने के लिए समाजसेवी संस्थाओं से जुड़ना और सेवा कार्य करना बहुत ही उचित निर्ण...
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