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प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकारी भूमि पर ढारे बनाकर जीवनयापन करने वाले हजारों परिवारों को बड़ी राहत देते हुए उनकी बेदखली पर तुरंत प्रभाव से रोक लगाने के आदेश दिए। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब तक सरकारी व अन्य विभागों की जमीन पर जीवन यापन करने के लिये ढारे बनाने वालों के पुनर्वास के लिए कोई उचित निर्णय नहीं ले लिया जाता तब तक उनकी बेदखली की कार्यवाही रोक दी जाए।
न्यायाधीश रवि मलिमथ ने अपने आदेशों के माध्यम से राज्य सरकार को उसके संवैधानिक दायित्वों की याद भी दिलाई। कोर्ट ने कहा कि यह सरकार का कर्तव्य है कि वह यह सुनिश्चित करे कि सभी नागरिकों का जीवनयापन का अधिकार पूर्णतया सुरक्षित है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह भी सरकार का ही दायित्व है कि वह सरकारी भूमि की रक्षा करे। कोर्ट ने कहा कि सरकार की तरफ से याचिकाकर्ता व ऐसे ही अति निर्धन लोगों को विशेष सरंक्षण की जरूरत है ताकि वे मानव जीवन जी सके।
मामले के अनुसार बोहरी देवी व अन्य याचिकाकर्ताओं का आरोप था कि वे प्रदेश में कई दशकों से रह रहे हैं और उनके नाम प्रदेश में तो क्या पूरी धरती पर एक इंच भी भूमि नहीं है। प्रार्थियों का मानना था कि इसी कारण वे अनेकों वर्षो से सरकारी भूमि पर छोटे छोटे ढारे बनाकर जीवन यापन कर रहे हैं। सरकार ने उनका पुनर्वास किए बगैर उनके खिलाफ बेदखली प्रक्रिया आरम्भ कर दी है। {शेष पेज 11 पर
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