हिमाचल के तकरीबन 15 हजार मकानों पर सरकार और अफसरों की लापरवाही से अवैध होने का तमगा लटका हुआ है। सरकार चाहे तो इन मकानों को रेगुलर कर सकती है। इसके लिए कुछ नया करने की जरूरत नहीं है, बल्कि TCP एक्ट के क्लाज-39 को लागू करने की आवश्यकता है लेकिन राज्य में कई सरकारें आई और गई। किसी ने भी एक्ट के इस प्रावधान को लागू करने की ज़हमत नहीं उठाई।
अवैध भवनों के मसले को सरकार के समक्ष उठाने वाली उप नगरीय जन कल्याण समिति के संजोयक गोविंद चितरांटा ने बताया कि दर्जनों बार सरकार से TCP एक्ट के इस प्रावधान को लागू करने की मांग की जा चुकी है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के अलग-अलग शहरों में जब भी समीप के गांव TCP के दायरे में लाए गए तो लोगों को हीयरिंग का अवसर नहीं दिया, जबकि 1994 में संशोधित एक्ट के मुताबिक 10 साल के भीतर पब्लिक हीयरिंग जरूरी होती है।
उन्होंने बताया कि आज 15 हजार से ज्यादा लोग अफसरों की गलतियों की सजा भुगत रहे हैं। उन्होंने राज्य सरकार से TCP एक्ट के क्लाज 39 को जल्द लागू करने का आग्रह किया है।
हीयरिंग नहीं करने पर डीम्ड रेगुलर का प्रावधान
TCP एक्ट के क्लाज-39 में प्रावधान है कि जब शहरों के आसपास के गांव को किसी प्लानिंग एरिया, स्पेशल एरिया या फिर साडा में शामिल किया जाता है तो स्थानीय शहरी निकाय, TCP और साडा (स्पेशल एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी) को 10 साल के भीतर भवन मालिक को पब्लिक हीयरिंग का अवसर देना होता है। ऐसा न करने की सूरत में भवन को डीम्ड रेगुलर किए जाने का प्रावधान है, लेकिन प्रदेश में ज्यादातर संबंधित विभाग व निकायों ने पब्लिक हीयरिंग नहीं की। फिर भी एक्ट के डीम्ड रेगुलर के प्रावधान को सालों से लागू नहीं किया जा रहा है।
क्लाज-39 लागू कर सैकड़ों भवन मालिकों को राहत दे सकती है सरकार
इस वजह से आज प्रदेश में बड़ी संख्या में लोगों के मकानों पर अवैध का तमगा लगा हुआ है। ऐसे में सरकार क्लाज-39 को लागू करके मर्ज एरिया के बड़ी संख्या में अवैध भवन नियमित कर सकती है। वैसे भी लोगों के पुश्तैनी मकान यानी पांच से छह दशक पहले बने मकानों पर TCP एक्ट लगाना तर्क संगत नहीं है, क्योंकि कानून नए निर्माण के लिए लागू होना चाहिए।
क्या चाह रहे प्रदेशावासी?
प्रदेशवासी लंबे समय से अवैध भवनों को रेगुलर करने के लिए वन टाइम सेटलमेंट पॉलिसी की मांग कर रहे हैं, ताकि उनके पुश्तैनी मकानों को एज इट इज, वेयर इट इज के आधार पर नियमित किया जा सके। हालांकि पूर्व वीरभद्र सरकार ने इसके लिए विधेयक भी लाया था, लेकिन शिमला के एक व्यक्ति द्वारा इसे हाईकोर्ट में चुनौती देने के कारण इस पर रोक लग गई।
हिमाचल में 35 प्लानिंग व 35 स्पेशल एरिया
प्रदेश में 35 प्लानिंग और 35 स्पेशल एरिया है। इनमें समय-समय पर दर्जन गांवों को मर्ज किया गया है। शिमला शहर भी कुछ साल पहले तक 8 किलोमीटर के दायरे में फैला था। अब उसका क्षेत्रफल बढ़कर 32 किलोमीटर हो गया है। प्रदेश के अन्य शहरों में भी शिमला की तर्ज पर आसपास के इलाके प्लानिंग या फिर स्पेशल एरिया में मर्ज किए गए हैं। इनमें मर्ज होते ही लोगों ने पुश्तैनी वैध मकान भी अवैध की श्रेणी में शामिल हो गए है।
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