हिमाचल में विधानसभा चुनाव से पहले अलग-अलग वर्गों को गारंटियां देने वाली कांग्रेस पार्टी ने सत्ता मिलते ही अपनी गारंटियों से मुकरना शुरू कर दिया है। चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी ने गारंटी दी थी कि अगर वह सत्ता में आई तो प्रदेश के सेब बागवानों को उनकी फसल का सही रेट तय करने का अधिकार दिलाया जाएगा। मगर अब प्रदेश के बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने इससे साफ इनकार कर दिया है।
कांग्रेस सरकार के सत्ता संभाले दो महीने से ज्यादा हो चुके हैं और सेब बागवान इंतजार कर रहे थे कि उन्हें अपनी उपज का रेट तय करने का अधिकार कब मिलेगा। मगर अब जगत सिंह नेगी ने कहा कि बागवानों को रेट तय करने का हक देना संभव नहीं है। हां, सरकार यह सुनिश्चित बनाएगी कि बागवानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिल जाए।
"बागवान तय करेंगे फलों की कीमत', कांग्रेस ने दी यह गारंटी
सच्चाई यह है कि कांग्रेस ने चुनाव जीतने के लिए घोषणा पत्र लाने से पहले 10 गारंटियां जनता को दी थीं। इनमें 5वीं गारंटी "बागवान तय करेंगे फलों की कीमत' थी। प्रदेश में 5 लाख से ज्यादा बागवान 36 किस्मों के फलों की पैदावार कर रहे हैं।
इनपुट कॉस्ट बढ़ने से बागवान नाराज
मगर, इनपुट कॉस्ट बढ़ने और उचित मूल्य नहीं मिलने की वजह से बागवानी अब घाटे का सौदा साबित होने लगी है। इससे दुखी होकर बीते साल भी सेब सीजन के दौरान बागवान लगभग ढाई महीने तक सड़कों पर रहे। जिला व ब्लॉक स्तर पर प्रदर्शन के बाद सचिवालय का घेराव किया और बाद में शिमला के माल रोड पर सामूहिक गिरफ्तारियां भी दीं।
सेब बेल्ट में 17 में से 14 सीटें कांग्रेस जीतीं
प्रदेश में फलों में 70 फीसदी पैदावार अकेले सेब की होती है। इसलिए सेब बागवानों को कांग्रेस सरकार से काफी उम्मीदें हैं। इसी भरोसे के साथ विधानसभा चुनाव में बागवानों ने कांग्रेस को प्रचंड जीत दिलाई। सेब बहुल क्षेत्रों में कांग्रेस को 17 में से 14 सीटों पर जीत मिलीं।
प्रदेश में 70 फीसदी सेब अकेले शिमला जिले में होता है। जिले की 8 में से 7 सीटें कांग्रेस की झोली में गईं। अब कांग्रेस सरकार बागवानों को दी गई गारंटी से मुकरने लगी है।
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