हिमाचल प्रदेश विधानसभा में सबकुछ सही नहीं है। यहां विधानसभा के अध्यक्ष पर ही सौतेलेपन का आरोप लग रहा है। इसी के चलते शुक्रवार को कांग्रेस के नेताओं ने विधानसभा सचिव को एक प्रस्ताव सौंपा है, जिसमें उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार को हटाए जाने की अपनी मांग को प्रबलता से रखा है। नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री का कहना है कि विपिन सिंह परमार विधानसभा अध्यक्ष होने के बावजूद एक पार्टी के नेता के तौर पर काम कर रहे हैं।
बकौल मुकेश अग्निहोत्री, विधानसभा की यह परंपरा रही है कि हर अध्यक्ष ने सदन की गरिमा को हमेशा बनाए रखा है। हालांकि मौजूदा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार के मामले में ऐसा नहीं है। वह लगातार लोकतांत्रिक व्यवस्था का हनन करते रहे हैं। उन्होंने अध्यक्ष पद की कुर्सी पर बैठकर खुद ही यह बात बड़े गर्व से कही है कि जिस विचारधारा सेवा संबंध रखते हैं, उस पर उन्हें गर्व है। न केवल वह, बल्कि प्रधानमंत्री और देश के राष्ट्रपति भी उसी विचारधारा से संबंध रखते हैं। ऐसे में यह विचारधारा गलत नहीं हो सकती।
काले बिल्ले लगाकर विपक्ष ने किया विरोध
विपक्षी दल कांग्रेस के विधायकों ने विधानसभा सत्र में प्रश्नकाल शुरू होने से पहले ही बहिष्कार कर दिया। सभी विधायकों काले बिल्ले लगाकर विरोध दर्ज कराया। ये विधानसभा के गेट नंबर 3 से बाहर निकलकर धरने पर बैठ गए। इसके बाद 19 विधायकों ने हस्ताक्षर करके एक रेगुलेशन दिया है, जिसके तहत इनका आरोप है कि विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार तानाशाही तरीके से सदन का संचालन कर रहे हैं। उन्हें भारतीय संविधान के आर्टिकल 179 सी के तहत रूल 274 के जरिये हटाया जाए।
पहले भी हो चुका ऐसा
ध्यान रहे कि जिस तरह की मांग हिमाचल प्रदेश विधानसभा में बैठे कांग्रेसी नेताओं ने की है, वैसा पहले भी हो चुका है। इससे पहले 1984 में विधानसभा अध्यक्ष को हटाने के लिए लाए गए प्रस्ताव के चलते तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष टीसी नेगी को भी पद से हटा दिया गया था।
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