हिमाचल प्रदेश में सूखे से आपातकाल जैसे हालात बन गए हैं। सूखे की वजह से किसानों की फसलों को 220.54 करोड़ रुपए और फलों को 61.93 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है। फील्ड से ताजा रिपोर्ट आने के बाद नुकसान और बढ़ेगा। फसलें किसानों की आंखों के सामने खेतों में दम तोड़ रही हैं।
किसानों ने कई दशकों बाद ऐसा जबरदस्त सूखा देखा है। प्रदेश के राजस्व मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर खुद मान चुके हैं कि राज्य के लगभग सभी जिलों में सूखे जैसे हालात पैदा हो गए हैं। सिरमौर, शिमला, बिलासपुर, मंडी, सोलन, हमीरपुर, ऊना और कांगड़ा जिला में फसलों को ज्यादा नुकसान बताया जा रहा है।
सिरमौर जिला की मुख्य नकदी फसल लहसुन और अदरक को 50 प्रतिशत से ज्यादा नुकसान हुआ है। लाल सोना नाम से देशभर में मशहूर सोलन जिला का टमाटर भी खेतों में ही दम तोड़ चुका है। शिमला जिला में नकदी फसल फूलगोभी, मटर, आलू और शिमला मिर्च की फसल भी सूखे की भेंट चढ़ गई है।
ऊना, कांगड़ा, बिलासपुर, हमीरपुर और मंडी जिला में गेहूं की आधी फसल तबाह हो गई है। समय पर बारिश नहीं होने से उत्पादन में गिरावट दर्ज की गई है। यही वजह है कि प्रदेश का किसान अब सरकार की ओर नजरें गढ़ाए बैठा है। किसान बागवान निरंतर सरकार से सूखाग्रस्त राज्य घोषित करने और मदद की गुहार लगा रहे हैं।
अब सेब पर संकट
कृषि उपज के साथ-साथ अब सेब व स्टोन फ्रूट्स पर भी खतरा मंडराने लगा है। स्टोन फ्रूट को पहले ही 40 से 50 प्रतिशत नुकसान हो चुका है। अब सेब की बड़े पैमाने पर ड्रॉपिंग हो रही है। नए बगीचों में बहुत ज्यादा नुकसान हो रहा है, क्योंकि छोटे पौधों के बीच नमी जल्दी सूख जाती है। कम ऊंचे क्षेत्रों में सूखे का ज्यादा असर पड़ है। सेब के बगीचों में सूखे की मार से नई-नई बीमारियां पनप रही हैं।
610 योजनाएं सूखीं
सूखे की वजह से प्रदेश में 610 सिंचाई योजनाओं पर असर पड़ा है। इनमें से कुछ योजनाएं विभाग की हैं तो कुछ किसानों की निजी सिंचाई योजनाएं हैं। बारिश नहीं होने से कई योजनाओं में 75 प्रतिशत तक जल स्तर गिर गया है। इससे किसान अपनी फसलों की सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं और फसलें खेतों में ही तबाह हो रही है।
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