हिमाचल पुलिस के जवान 48 घंटे से भी अधिक समय से भूखे पेट सेवाएं दे रहे हैं। 2014-14 के बाद भर्ती जवानों ने सरकारी मेस (कैंटीन) में भोजन करना छोड़ दिया है। प्रदेश सरकार और अफसरशाही फिर भी इनकी मांगों को नजरअंदाज कर रही है। पुलिस जवान वेतन विसंगति को खत्म करने की मांग पर अड़े हैं। इनके विरोध का आज तीसरा दिन है। अब इस मामले में नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने भी सरकार को घेरा है। इससे पुलिस पे-बैंड का मामला राजनीतिक रंग लेता जा रहा है।
दरअसल, वर्ष 2015 में अफसरशाही ने चालाकी दिखाते हुए पुलिस जवानों को पूरा वेतनमान देने के लिए आठ साल का सेवाकाल पूरा करने का राइडर लगा डाला। यानी पुलिस में रेगुलर भर्ती होने के बाद भी पूरे वेतनमान के लिए इन्हें आठ साल का लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। दूसरे सभी सरकारी विभागों में अनुबंध से रेगुलर होने के दो साल के बाद पूरा वेतनमान दे दिया जाता है।
पुलिस जवानों को वित्तीय नुकसान
8 साल के सेवाकाल के राइडर के कारण पुलिस जवान परेशान है। इन्हें वित्तीय नुकसान हो रहा है। बीते नवंबर महीने में पुलिस के सैकड़ों महिला एवं पुरुष कर्मी मुख्यमंत्री के सरकारी आवास ओक-ओवर के बाहर इकट्ठा हुए और मौन जलूस के माध्यम से वेतन विसंगति को दूर करने की मांग उठाई। तब मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इन जवानों की मांग का समाधान निकालने के लिए एक कमेटी गठित की और जल्द रिपोर्ट देने को कहा।
सूत्रों की मानें तो कमेटी ने भी पुलिस जवानों की मांग को जायज ठहराते हुए पूरा वेतनमान देने की सिफारिश कर दी है, लेकिन इस रिपोर्ट को अफसरशाही सार्वजनिक नहीं होने दे रही है। कार्रवाई के डर से कोई पुलिस अधिकारी भी इस मसले पर मीडिया से बातचीत को तैयार नहीं है। इससे दिन-रात लोगों की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाले पुलिस जवानों का मनोबल गिर रहा है। हैरानी इस बात की है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी यह कह रहे हैं कि उन्हें पुलिस कर्मियों द्वारा खाना छोड़े जाने की जानकारी नहीं है।
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