हिमाचल में सीमेंट फैक्ट्री विवाद को लेकर मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू अंतिम निर्णय लेंगे। उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने बताया कि मुख्यमंत्री के शिमला लौटने के बाद इस पर कोई फैसला संभव है। उन्होंने कहा कि सीमेंट फैक्ट्री विवाद मामले में पूरी रिपोर्ट CM के सामने रखी जाएगी। फिर भी सहमति नहीं बनी तो सरकार कानूनी कार्रवाई के बारे में सोचेगी।
इस बीच सीमेंट फैक्ट्री बंद होने से बेरोजगार हुए ट्रांसपोर्टर और आम लोग उग्र हो रहे है। 27 दिसंबर के बाद खासकर ट्रांसपोर्टर उग्र प्रदर्शन का रास्ता अपना कर सकते हैं।
हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि सरकार सीमेंट फैक्ट्री विवाद को लेकर गंभीर है। यही वजह है कि उन्होंने खुद इस मामले में बिलासपुर के स्थानीय विधायक त्रिलोक जम्वाल से बात की है और उनसे आग्रह किया है कि वह ट्रक ऑपरेटर के साथ बातचीत करें, ताकि इस समस्या का कोई हल निकाला जा सके।
हर रोज दो करोड़ का नुकसान
उद्योग मंत्री ने कहा कि दोनों सीमेंट प्लांट बंद होने से राज्य सरकार को रोजाना दो करोड़ का वित्तीय नुकसान हो रहा है। इसमें रॉयलिटी, टैक्स, बिजली से होने वाला राजस्व शामिल है।
हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि राज्य सरकार ट्रक ऑपरेटर्स और सीमेंट कंपनी प्रबंधन के बीच आम सहमति बनाने के प्रयास कर रही है। कई दौर की बातचीत हो चुकी है, ताकि सीमेंट प्लांट का संचालन फिर से शुरू किया जा सके।
अडानी ने 15 दिसंबर से बंद कर रखे हैं सीमेंट प्लांट
अडानी ने अर्की के दाड़लाघाट और बिलासपुर के बरमाणा में दोनों सीमेंट प्लांट बंद कर रखे है। दरअसल, कंपनी प्रबंधन ट्रकों के मालभाड़े को कम करने की मांग कर रहा है। वहीं ट्रक ऑपरेटर ऐसा करने को तैयार नहीं है। अब सीमेंट फैक्ट्री बंद होने से सैकड़ों ट्रक आपटेरों की रोजी रोजी पर संकट आ गया है।
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