हिमाचल में 'डर्टी पॉलिटिक्स' से परिवार में दरारें पड़ रही हैं। बेटा बाप के खिलाफ और बहन भाई के खिलाफ मोर्चा खोल रही है। यह सब टिकट की चाहत में हो रहा है।
पहले बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर के बेटा-बेटी आमने-सामने आए। फिर कुल्लू के राजघराने महेश्वर सिंह व उनके बेटे हितेश्वर में टिकट को लेकर अनबन हुई। अब पूर्व केंद्रीय मंत्री सुख राम शर्मा के पोते आश्रय ने अपने ही पिता एवं विधायक अनिल शर्मा पर सवाल खड़े किए हैं।
आश्रय ने पिता अनिल शर्मा और सत्तारूढ़ BJP सरकार दोनों के सिर पर मंडी सदर का विकास नहीं होने का दोष मढ़ा। आश्रय ने कहा कि जितनी गलती सरकार की रही है] उतनी गलती अनिल शर्मा की भी है। पिता की कार्यप्रणाली पर बेटे का सवाल उठाना सुख राम परिवार में सब कुछ सामान्य नहीं होने के संकेत हैं।
अनिल ने बेटे की वजह से कुर्बान किया था मंत्री पद
प्रदेशभर में आश्रय शर्मा के इस बयान की लोग निंदा कर रहे हैं, क्योंकि अनिल शर्मा ने पहले बेटे के कहने पर ही BJP जॉइन की थी। 2017 में चुनाव जीतने पर अनिल शर्मा, जयराम सरकार में ऊर्जा मंत्री बने।
करीब डेढ़ साल बाद अनिल शर्मा को बेटे आश्रय के कांग्रेस में शामिल होने और पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने की वजह से मंत्री पद छोड़ना पड़ा। यानी पिता ने बेटे के लिए मंत्री पद की कुर्बानी दी। अब बेटे ने मंडी के विकास नहीं होने का दोष पिता पर ही मढ़ दिया।
महेंद्र सिंह के परिवार में भी बगावत
इससे पहले भाजपा हाईकमान ने धर्मपुर से महेंद्र सिंह ठाकुर के बेटे रजत ठाकुर को टिकट दिया। इस पर उनकी बेटी वंदना गुलेरिया ने भाई के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया। हालांकि अब महेंद्र सिंह बेटे-बेटी को मना चुके हैं।
कुल्लू के राजघराने में भी फूट
ठीक इसी तरह महेश्वर सिंह के परिवार में भी फूट पड़ी है। महेश्वर सिंह के बेटे हितेश्वर के बंजार से निर्दलीय चुनाव लड़ने से इस परिवार की फूट भी जगजाहिर हो चुकी है।
ससुर दामाद आमने-सामने
सोलन में ससुर और दामाद आमने-सामने हैं। कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. धनीराम शांडिल का मुकाबला दामाद एवं भाजपा के उम्मीदवार डॉ. राजेश कश्यप से है। इनकी अच्छी बात यह है कि दोनों परिवार के संबंध अच्छे है। 2017 के चुनाव में ससुर और दामाद एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं।
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