किसी भी शिक्षण संस्थान को बेहतर बनाना उसके मुखिया पर निर्भर करता है, लेकिन जब मुखिया ही न हो तो उस संस्थान के बेहतर होने की उम्मीद नहीं की जा सकती। हिमाचल प्रदेश में भी 62 सरकारी कॉलेज मुखिया के बगैर चल रहे हैं।
प्रदेश में कुल 131 डिग्री कॉलेज हैं। शिक्षा विभाग के मुताबिक, 50 कॉलेजों (38%) में रेगुलर प्रिंसिपल हैं, जबकि 18 कॉलेजों में कार्यवाहक प्रिंसिपल। इससे उच्च शिक्षा को लेकर राज्य सरकार की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
2018 के बाद नहीं लगाए प्रिंसिपल
प्रदेश में आखिरी बार 2018 में कॉलेज प्रिंसिपल पद पर पदोन्नति दी गई थी। इसके बाद चार साल पूरे होने जा रहे हैं, लेकिन सरकार का ध्यान प्रिंसिपल लगाने पर नहीं जा रहा है। हिमाचल कॉलेज लेक्चरर एसोसिएशन एक दो नहीं, कई बार सरकार से पदोन्नति देने की मांग कर चुका है, लेकिन सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही।
ऐसे भरे जाते हैं प्रिंसिपल के पद
कॉलेज प्रिंसिपल के 25 फीसदी पद सीधी (डायरेक्ट) भर्ती से कमीशन के माध्यम से भरे जाते हैं, जबकि 75 फीसदी पद वरिष्ठ कॉलेज लेक्चरर को पदोन्नति देकर भरे जाते हैं। करीब 4 साल से न तो पदोन्नति और न ही सीधी भर्ती से प्रिंसिपल लगाए गए है। हालांकि कुछ समय तक अदालत ने पदोन्नति पर स्टे लगा रखा था, लेकिन बीते साल सितम्बर में अदालत ने स्टे भी हटा दिया है। फिर भी सरकार और शिक्षा विभाग कॉलेज लेक्चरर को पदोन्नति नहीं दे रहा है।
जल्द दी जाए पदोन्नति: रामलाल
हिमाचल कॉलेज लेक्चरर एसोसिएशन के महासचिव डॉ. रामलाल शर्मा ने प्रदेश सरकार से कॉलेज लेक्चरर को जल्द प्रिंसिपल पद पर पदोन्नति देने की मांग की है। कई पात्र लेक्चरर बिना पदोन्नति के रिटायर हो चुके हैं और कइयों को बिना प्रमोशन के रिटायर होने का डर सता रहा है। कॉलेज लेक्चरर को पूरी नौकरी के दौरान एक बार ही पदोन्नति दी जाती है। इसलिए बिना देर किए पदोन्नति दी जाए।
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