हिमाचल के कर्मचारी क्या वोट देने से डर रहे है? वोटिंग के लगभग 16 दिन बीतने के बाद भी अधिकतर कर्मचारियों ने अपने पोस्टल बैलेट जमा नहीं कराए है। इसलिए इलेक्शन कमीशन को पोस्टल जमा कराने की अपील करनी पड़ रही है।
गौरतलब है कि कर्मचारियों पर ही वोटरों को अधिक मतदान के लिए जागरूक करने का जिम्मा रहता है और कर्मचारी खुद ही अपना वोट देने से कतरा रहे है।राजनीतिक दल इसके अलग-अलग मायने निकाल रहे है।
खासकर ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) के मुद्दे के कारण कर्मचारियों के कम वोट मिलने को कांग्रेस नुकसान के तौर पर देख रही है। इसलिए कांग्रेस कई बार राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी (CEO) के ध्यान में यह मामला ला चुकी है।
अब तक 15.69% सेन्य कर्मियों ने दिए वोट
बता दें कि इलक्शन कमीशन ने चुनाव ड्यूटी में तैनात अधिकारियों एवं कर्मचारियों को 59,728 डाक मतपत्र जारी किए थे। इनमें से बीते कल तक 32,177 वोट यानी 53.27 फीसदी ही वापस मिल गए हैं। इसके अतिरिक्त सेवारत सैन्य कर्मियों को 67,559 डाक मतपत्र दिए गए थे। इनमें से 15,099 पोस्टल बैलेट यानी 15.69 फीसदी वोट ही वापस मिले है। 1,27,287 पोस्टल-बैलेट में से 42,276 यानी 33.22 फीसदी ने ही वोट जमा कराए हैं।
अच्छी बात यह है कि पोस्टल बैलेट काउंटिंग वाले दिन सुबह 8 बजे तक मतगणना में शामिल किए जाएंगे, लेकिन हैरानी इस बात की है कि कर्मचारी अपना वोट ही नहीं दे रहे है।
इसलिए उठ रहे सवाल
वोटिंग और मतगणना लगभग 26 दिन का अंतराल होने के बावजूद इलेक्शन कमीशन को पोस्टल बैलेट वापस नहीं मिले है। यह चिंता की बात है। सवाल इसलिए उठ रहे कि यदि वोटिंग और काउंटिंग में लगभग एक महीने का अंतराल नहीं होता तो क्या उस सूरत में अधिकतर कर्मचारी अपना वोट नहीं दे पाते।
8 दिसंबर तक जमा करवा सकेंगे पोस्टल-बैलेट : CEO
मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) मनीष गर्ग ने बताया कि रोजाना 3000 से ज्यादा पोस्टल बैलेट मिल रहे हैं। उम्मीद है कि काउंटिंग से पहले ज्यादातर कर्मचारी पोस्टल बैलेट जमा करवा देंगे। उनका मकसद ज्यादा से ज्यादा मतदान सुनिश्चित बनाना है। पोस्टल बैलेट 8 दिसंबर की सुबह 8 बजे तक जमा कराए जा सकेंगे।
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