हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक जल स्त्रोतों का सौंदर्यीकरण होगा। अमृत सरोवर योजना के तहत प्रदेश की झीलों और तालाबों को पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनाया जाएगा।
तालाबों और झीलों के किनारे रोशनी की व्यवस्था की जाएगी। चारों और पेड़ लगाकर उनकी खूबसूरती को और बढ़ाया जाएगा। साफ-सफाई की विशेष व्यवस्था करके उसकी उपयोगिता क़ो बढ़ाया जाएगा। शहरी विकास विभाग ने अपने सभी 58 शहरी निकायों से प्राकृतिक जल स्रोतों की सूची मांगी है।
30 मई तक मांगी जल स्रोतों की रिपोर्ट
शहरी विकास विभाग ने अपने सभी निकायों से ऐसे जल स्रोतों की रिपोर्ट 30 मई तक मांगी है, जिन्हें अमृत सरोवर योजना में शामिल किया जाना है। ऐसे तालाबों को शोकेस में शामिल किया जाएगा, यानी उस तालाब क़ो अच्छा बनाया जाएगा। उसे उपयोग करने के लिए लोगों को समर्पित किया जाएगा।
प्राकृतिक जल स्रोतों की करनी होगी जियो टैगिंग
जल स्रोतों की सूची तैयार करने से पहले शहरी निकायों को संबंधित प्राकृतिक जल स्त्रोतों की जियो टैगिंग भी करनी होगी। इसके लिए विभाग एक ऐप बना रहा है। निकायों को उस ऐप में प्राकृतिक जल स्तोत्र की फोटो डालनी होगी और उस स्त्रोत के बारे में पूरी जानकारी भी उपलब्ध करानी होगी।
बताना होगा कि संबंधित प्राकृतिक जल स्रोत का एरिया कितना है, कैसी स्थिति में है, और बाद में कैसा बनेगा, यह सब जानकारी ऐप में डालनी होगी। विभाग इसकी पूरी रिपोर्ट तैयार करके फंडिंग के लिए केंद्र सरकार को भेजेगा। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत अमृत सरोवर बनाए जा रहे हैं।
इसका मकसद तालाबों और झीलों को पुनर्जीवित करके पानी की उपयोगिता को बनाकर रखना है। यही प्रयास प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के प्राकृतिक जल स्त्रोतों के साथ भी किए जा रहे हैं। उन्हें भी पुनर्जीवित किया जाना है।
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