हिमाचल की भाजपा सरकार युवाओं को नौकरी नहीं दे पाई है। जिन पदों पर भर्तियां विज्ञापित की गईं, वह कई सालों से कोर्ट में फंसी हुई हैं। सरकारी विभागों में दर्जनों पद हर साल डाइंग काडर में डालकर खत्म किए जा रहे हैं। राज्य में इससे बेरोजगारों की फौज बढ़ती जा रही है।
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) की 26 अक्टूबर तक की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में बेरोजगारी दर 9.2% है। राष्ट्रीय स्तर पर यह 7.9% है, यानी हिमाचल में राष्ट्रीय औसत की तुलना में भी 1.3% ज्यादा बेरोजगारी है।
छोटे राज्यों में टॉप-3 में बेरोजगारी दर
छोटे राज्यों में हिमाचल बेरोजगारी दर में टॉप-3 और पूरे देश में 9वें पायदान पर है। हिमाचल में पर्यटन, बागवानी और पावर सेक्टर में रोजगार की अपार संभावनाओं के बावजूद 9 फीसदी से ज्यादा की बेरोजगारी दर अच्छा संकेत नहीं है।
चुनाव में मुद्दा बनेगी बेरोजगारी: मोहित
JBT (जूनियर बेसिक टीचर) एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहित ठाकुर ने बताया कि बीते 5 सालों में ज्यादातर भर्तियां कोर्ट में फंसी हैं। उन्होंने भी 2016 में JBT की ट्रेनिंग पूरी कर ली है, लेकिन अभी तक नौकरी नहीं मिली। इन 6 सालों में JBT की भर्ती केवल एक बार निकली है, जबकि राज्य में JBT के 3000 पद खाली पड़े हैं। वह इसकी लड़ाई अदालत में भी लड़ रहे हैं।
मोहित ने बताया कि कई जगह भाई-भतीजावाद के आधार पर नौकरियां दी गई हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर सरकार ने अपने चहेते लगाए हैं। उन्होंने बताया कि विधानसभा चुनाव में बेरोजगारी बड़ा मुद्दा होगा। बेरोजगार सभी नेताओं से इस मुद्दे पर सवाल करेंगे।
इन पदों पर कोर्ट में भर्तियां
प्रदेश का पढ़ा लिखा बेरोजगार सालों से नौकरी मांग रहा है, लेकिन राज्य में JOA IT, JBT, शास्त्री इत्यादि पदों पर भर्तियां लंबे समय से कोर्ट में फंसी हुई हैं। सरकार ज्यादातर मामलों में अपना पक्ष कोर्ट में सही ढंग से नहीं रख पाई है।
विधानसभा चुनाव में मुद्दा बनेगी बेरोजगारी
जाहिर है कि विधानसभा चुनाव में नेताओं को इसका जवाब देना होगा। क्योंकि युवाओं ने उच्च व प्रोफेशनल एजुकेशन के लिए लाखों रुपए खर्च रखे हैं, फिर भी रोजगार नहीं मिल रहा है।
इससे राज्य में पढ़े-लिखे शिक्षित बेरोजगारों का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। छोटे से पहाड़ी राज्य हिमाचल में 8 लाख से ज्यादा पंजीकृत बेरोजगार हैं। वहीं विपक्षी दल राज्य में 12 लाख से ज्यादा बेरोजगारों का दावा करते रहे हैं।
इन राज्यों में हिमाचल से ज्यादा बेरोजगारी
छोटे प्रदेशों की बात करें तो हिमाचल से ज्यादा बेरोजगारी गोवा में 10.9% और त्रिपुरा में 17.0% है। पूरे देश में हिमाचल से ज्यादा बेरोजगारी हरियाणा, झारखंड, जम्मू कश्मीर, राजस्थान, बिहार और दिल्ली में है।
पद भरने की बजाय खत्म कर रही सरकार
राज्य सरकार विभिन्न विभागों में हर साल दर्जनों पद खत्म कर रही है। पिछले कुछ सालों के दौरान सरकार ने विभिन्न विभागों, बोर्ड व निगमों में 2068 पद खत्म किए हैं। जो पद भरे गए हैं, उनमें से ज्यादातर पदों पर आउटसोर्स-आंशिक व दैनिक भोगी आधार पर कर्मचारी रखे जा रहे हैं।
इन कर्मचारियों का जमकर शोषण किया जा रहा है। सरकारी क्षेत्र में पद खत्म करने का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 1990 तक अकेले बिजली बोर्ड में 42 हजार से अधिक फील्ड स्टाफ था। अब इनकी संख्या कम होकर लगभग 17 हजार रह गई है। इससे युवाओं में असंतोष बढ़ता जा रहा है।
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