केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हिमाचल में 2 दिन तक 6 रैलियां की। हर रैली में इनके निशाने पर सोनिया और राहुल गांधी, प्रतिभा सिंह व उनके विधायक बेटे विक्रमादित्य सिंह रहे। भाषण भी लगभग सभी जगह एक जैसा रहा।
छहों रैलियों में शाह का भाषण मोदी सरकार की उपलब्धियों पर केंद्रित रहा। हिमाचल सरकार की इक्का-दुक्का योजनाओं को छोड़कर 5 साल की उपलब्धियों का जिक्र तक नहीं किया।
हिमाचल भाजपा भी लंबे समय से अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाने की बजाय PM मोदी के नाम पर चुनाव लड़ रही है। अमित शाह ने भी लगभग सभी रैलियों में नरेंद्र मोदी को ही प्रदेश चुनाव का 'चेहरा' बनाने का प्रयास किया।
चंबा से शिमला कांगड़ा से नालागढ़ तक मां-बेटे पर हमला
अमित शाह ने चंबा के सिंहुता से लेकर करसोग व शिमला के भट्टाकूफर, हमीरपुर के नादौन, धर्मशाला से लेकर नालागढ़ तक हर रैली में कांग्रेस को मां-बेटे की पार्टी बताया है।
राम मंदिर और 370 का जिक्र करना नहीं भूले
देवभूमि हिमाचल में भी अमित शाह राम मंदिर, धारा 370, ज्वाहर लाल नेहरू, देवभूमि 'वीरभूमि', वन रैंक वन पेंशन, राहुल बाबा, भारतीय समाज की आस्था के केंद्र बिंदुओं बाबा काशीनाश कॉरिडोर, महाकाल कॉरिडोर व केदार धाम का जिक्र करना नहीं भूले।
पहले प्रदेश के नेताओं के नाम पर लड़े जाते रहे चुनाव
साल 2017 के चुनाव में जब प्रेम कुमार धूमल मुख्यमंत्री चेहरा थे तो उन्हें कभी विकास का मसीहा, कभी सड़कों वाला मुख्यमंत्री बताकर प्रचारित किया जाता था, लेकिन इस बार के चुनाव में प्रदेश के किसी भी नेता पर राष्ट्रीय नेताओं का फोकस कम रहा है। सभी नेता प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर चुनाव लड़ रहे हैं।
विधानसभा चुनाव में प्रदेश के मुद्दों पर फोकस जरूरी
राजनीति के जानकार बताते हैं कि प्रदेश के चुनाव में केंद्र की उपलब्धियां और PM मोदी चेहरा नहीं बन सकते। प्रदेश की स्थानीय समस्याएं चुनावी मुद्दा हो सकती हैं।
शाह ने यहां-यहां की जनसभाएं
अमित शाह ने 1 नंवबर को चंबा के सिहुन्ता, करसोग और शिमला के भट्टाकूफर व कसुम्पटी में जनसभा को संबोधित किया। 2 नंवबर को हमीरपुर के नादौन, धर्मशाला और नालागढ़ के पंजैहरा में जनसभा को संबोधित किया।
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