हिमाचल प्रदेश में मार्च और अप्रैल की भयंकर गर्मी के साइड इफेक्ट नजर आने लगे हैं। भीषण गर्मी से ग्लेशियरों के पिघलने और बारिश शुरू होने के बावजूद राज्य की विभिन्न नदियों पर बने बांध पूरी तरह नहीं भर पाए हैं। इसका असर आने वाले दिनों में राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली की कृषि पर पड़ सकता है, क्योंकि इन राज्यों की खेतीबाड़ी नहरों के पानी पर निर्भर रहती है।
प्रदेश में पावर जनरेशन भी जल स्तर गिरने से प्रभावित हुई है। आमतौर पर 15 जून के बाद विभिन्न नदियों पर बने बांध के जलाशय भर जाते हैं, क्योंकि जून में गर्मी पड़ने से ग्लेशियरों के पिघलने की रफ्तार तेज हो जाती है, लेकिन इस साल गर्मी पड़ने और ग्लेशियर पिघलने के बावजूद अधिकतर बांध के जलाशय में जल स्तर गिरा हुआ है।
भाखड़ा बांध का जलाशय अभी भी 38 मीटर खाली
BBMB के भाखड़ा बांध का जल स्तर अभी 474 मीटर है, जबकि इसके जलाशय की क्षमता 512 मीटर है, यानी 38 मीटर बांध अभी खाली पड़ा है। पौंग बांध में जलाशय की क्षमता के 896.42 मीटर के मुकाबले 890.60 मीटर पानी भर पाया है। इसका जलाशय भी 6 मीटर खाली है। लारजी के जलाशय का जल स्तर अभी 966.50 मीटर चल रहा है, जबकि इसकी क्षमता 969.5 मीटर है। चमैरा-2 के जलाशय की क्षमता 1162 मीटर है। यह भी 1156.99 मीटर ही भर पाया है। कौल डेम का जलाशय 642 मीटर की मुकाबले अभी 637.18 मीटर तथा कड़छम डेम 1810 मीटर के मुकाबले 1808 मीटर ही भरा हुआ है।
मार्च अप्रैल में ही बर्फ पिघलने से बांध के जलाशय खाली
पर्यावरण वैज्ञानिकों की मानें तो इस साल मार्च और अप्रैल की भयंकर गर्मी की वजह से बर्फ पहले ही बहुत ज्यादा पिघल चुकी थी। राज्य विज्ञान, पर्यावरण एवं प्रौद्योगिकी परिषद (HIMCOSTE) की रिपोर्ट के मुताबिक, रावी, ब्यास, सतलुज व चिनाब चारों बेसिन पर बर्फ पिघलने की दर इस बार 19 से 25 फीसदी रही है, जो बीते साल 4 से 10 फीसदी थी।
यानी जो बर्फ आमतौर पर मई, जून और जुलाई महीने में पिघलती थी, वह इस बार मई महीने या इससे पहले ही पिघल गई है। इस वजह से जून-जुलाई में भी बांध के जलाशय पूरी तरह नहीं भर पा रहे हैं।
इसलिए पावर जनरेशन भी घटा: ACS
राज्य की चारों रिवर बेसिन पर बर्फ में कमी का असर न केवल पड़ोसी प्रदेश पर, बल्कि हिमाचल पर पड़ रहा है। राज्य में जुलाई महीने में भी शत-प्रतिशत विद्युत उत्पादन पटरी पर नहीं लौट पाया है। अतिरिक्त मुख्य सचिव पावर आरडी धीमान ने बताया कि बर्फ के जल्दी पिघलने की वजह से नदी-नालों में जल स्तर कम है। इससे पावर जनरेशन कम हो गई है। हालांकि बीते साल की तुलना में अप्रैल और मई में बिजली उत्पादन बढ़ा था।
लाहौल-स्पीति में सामान्य से 76.1 फीसदी कम बारिश
हिमाचल प्रदेश में एक जून से एक जुलाई तक 76.1 मिलीमीटर बारिश है, जबकि इस अवधि में 105.2 मिलीमीटर सामान्य बारिश होती है। लाहौल स्पीति जिला में सबसे ज्यादा 73 फीसदी, किन्नौर में 63 फीसदी, सिरमौर 42 और शिमला में सामान्य से 32 फीसदी कम बारिश हुई है।
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