हिमाचल में बच्चों के जीवन से खिलवाड़:गिरने की कगार पर पहुंचे भवनों में पढ़ने को मजबूर विद्यार्थी; 28% कमरों को रिपेअर की जरूरत

शिमला4 महीने पहले
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हिमाचल में कई सरकारी स्कूलों की हालत जर्जर बनी हुई है। इसका खुलासा शिक्षा विभाग की अपनी रिपोर्ट कर रही है। UDISE (UNIFIED DISTRICT INFORMATION SYSTEM FOR EDUCATION ) रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में 11.24 फीसदी क्लास रूम (कमरे) ऐसे हैं, जिनको मेजर रिपेअर की सख्त जरूरत है।

इसी तरह 16.95 फीसदी कमरों में माइनर रिपेअर जरूरी है, यानी 28 फीसदी से ज्यादा कमरों की स्थिति अच्छी नहीं है। राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 7160 कमरों की मेजर रिपेअर और 10797 कमरों में माइनर रिपेअर पर सरकार व शिक्षा विभाग को ध्यान देना होगा। ऐसा नहीं किया गया तो बच्चों की जान पर भारी भी पड़ सकती है।

प्राइमरी स्कूलों की हालत ज्यादा खस्ता
राज्य में सबसे ज्यादा जर्जर हालत में प्राइमरी स्कूल हैं। प्राइमरी स्कूलों के 4465 कमरों, मिडिल स्कूलों के 432 कमरों, हाई स्कूलों के 535 कमरों और हाई सेकेंडरी स्कूलों के 1738 कमरों को मेजर रिपेअर की जरूरत है। हिमाचल प्रदेश में कुल 18 हजार 28 प्राइमरी, अपर प्राइमरी, हाई व हाई सेकेंडरी स्कूल चल रहे हैं। इनमें कुल 63 हजार 690 कमरे हैं।

विधानसभा चुनाव में AAP ने बनाया मुद्दा
प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भी स्कूलों की खस्ताहाल खूब मुद्दा बनी है। खासकर आम आदमी पार्टी (AAP) ने स्कूल भवनों की जर्जर हालत को चुनावी मुद्दा बनाया है, लेकिन आम आदमी पार्टी के अलावा राज्य के दोनों प्रमुख दलों ने इस मुद्दे पर गौर नहीं किया।

ऐसे स्कूलों में हर वक्त रहता हादसा होने की आशंका
ऐसे जर्जर भवनों व कमरों में खासकर बारिश के दौरान बच्चों को पढ़ाई करने में दिक्कत आती है और हादसा होने की भी आशंका बना रहती है। प्रदेश में दर्जनों स्कूलों की छतें बारिश में टपकती रहती हैं। इससे भी बच्चों को परेशानियां झेलनी पड़ती है।