हिमाचल में 10 दिन बाद विधानसभा चुनाव के लिए वोट पड़ेंगे। ऐसे में सत्तारूढ़ BJP और विपक्ष में बैठी कांग्रेस ने प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी है। BJP रिवाज बदलने तो कांग्रेस पहाड़ की परंपरा कायम रहने का दावा कर रही है। जनसंघ से लेकर BJP को हिमाचल में स्थापित करने वाले पूर्व CM शांता कुमार, चुनावी माहौल में अपनी पार्टी के दावों से इत्तेफाक तो रखते हैं मगर कई खामियों से आहत भी हैं। और अपनी राय बेबाकी से रखते हैं।
BJP के सामने पहली बार बागियों की ऐसी चुनौती की वजह क्या है? एंटी इनकमबेंसी के बावजूद BJP हिमाचल में रिपीट कैसे कर पाएगी? टिकट बांटने में कहां चूक हो गई? जैसे तमाम सवालों पर दैनिक भास्कर ने पालमपुर में शांता कुमार से बातचीत की। इसी बातचीत के प्रमुख अंश…
भास्कर : परिवारवाद पर हमेशा कांग्रेस को कटघरे में खड़ा करने वाली BJP के लिए इस बार हिमाचल में ये मुद्दा गौण हो गया। क्या कहेंगे?
शांता कुमार : देखिए, वैसे तो देश की राजनीति में आई गिरावट से मैं आहत हूं। फिर भी कहना चाहता हूं कि BJP आज भी बाकी दलों के मुकाबले अधिक मूल्य आधारित राजनीति करती है। कहीं-कहीं कुछ समझौते होते हैं। मैं मानता हूं कि नहीं होने चाहिए। नहीं होते तो अधिक अच्छा रहता, क्योंकि यही तो BJP की पहचान है।
मैं जब BJP में आया तो पार्टी के पास कुछ नहीं था। पुलिस की लाठियां मिलती थीं। चुनाव लड़ते तो जमानत जब्त हो जाती। कोई हमारी बात नहीं सुनता था। मगर एक राष्ट्रीय विचारधारा, एक समर्पित कार्यकर्ता और मूल्य आधारित राजनीति। केवल इन्हीं के बूते BJP को भारत की जनता ने दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बना दिया।
मैंने अभी अपनी आत्मकथा लिखी है। मैंने उसमें लिखा है कि मेरी अंतिम इच्छा यही है कि मेरी पार्टी उन सिद्धांतों पर अडिग खड़ी रहे। कहीं-कहीं समझौते हुए हैं, लेकिन कुल मिलाकर पार्टी में परिवारवाद को अभी कोई स्थान नहीं मिला है।
भास्कर : सरकार और कार्यकर्ता में दूरियां बढ़ गई हैं। संगठन के लोग सत्ता की लालसा में है। हिमाचल में जिन लोगों पर संगठन चलाने की जिम्मेदारी थी, वह टिकट लेकर चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में पार्टी और संगठन के भविष्य को कैसे आंकते हैं?
शांता कुमार : राजनीति में बहुत अधिक गिरावट आई है। कुछ असर हमारी पार्टी पर भी पड़ा है। अगर बहुत ज्यादा बारिश हो रही हो और छाता लेकर चलें तो भी कुछ छींटे पड़ ही जाते हैं। ऐसे कुछ छींटे हमारी पार्टी पर भी पड़े हैं।
पार्टी को सावधानी बरतनी चाहिए। ऐसी स्थिति नहीं आनी चाहिए। केवल देश की सेवा की राजनीति होनी चाहिए। मैं बहुत आहत हूं आजकल। जो राजनीति देश के लिए नहीं है, वो दुष्टनीति है और पूरे देश पर नजर दौड़ाएं तो देश के लिए राजनीति बहुत कम हो रही है। आज राजनीति मेरे लिए, सत्ता के लिए, मेरी कुर्सी के लिए हो गई है। ये देश का दुर्भाग्य है। ये रुकना चाहिए।
भास्कर : टिकटों को लेकर BJP में घमासान मचा है। असंतुष्ट नेता बागी होकर मैदान में है। बड़े-बड़े नेता भी बागियों को मना नहीं पाए। आप इसे BJP के मिशन रिपीट में कितनी बड़ी चुनौती मानते हैं?
शांता कुमार : 1947 से पहले राजनीति देश के लिए थी। लोग मुस्कुराते हुए फांसी के फंदे पर झूल जाते थे। धीरे-धीरे राजनीति का स्तर गिर गया। आज राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं बहुत बढ़ गई है। BJP में जो बागी खड़े हैं, वो नहीं होने चाहिए। मैं भगवान से प्रार्थना करता हूं कि मेरी पार्टी में उम्मीदवार ठीक चुना जाए और पार्टी के सभी वर्कर उसे स्वीकार करें। हालांकि बाकी पार्टियों से BJP इस मामले में ठीक ही है।
भास्कर : रविंद्र रवि और रमेश धवाला आपके समर्थक रहे हैं। इस बार उनके टिकट बदल दिए गए। मंत्रियों में सुरेश भारद्वाज और राकेश पठानिया की सीट बदल दी गई। इसका चुनाव नतीजों पर क्या असर होगा?
शांता कुमार : टिकट देते समय पार्टी को बहुत सारी बातों पर विचार करना पड़ता है। उसमें ये देखा जाता है कि जीतने की स्थिति में कौन है? अच्छी छवि किसकी है? यह सब देखकर ही सीटों की अदला-बदली की जाती है। मैं समझता हूं कि पार्टी हाईकमान ने जो किया, ठीक किया। इसके रिजल्ट भी ठीक ही होंगे।
भास्कर : प्रदेश में 5 साल बाद सरकार बदलने की परंपरा रही है। BJP इस रिवाज को बदलने का दावा कर रही है। इस दावे में कितना दम है?
शांता कुमार : रिवाज वाले दिन चले गए। आज पूरे भारत में BJP का एक विशेष स्थान बन चुका है। केंद्र की सरकार और हिमाचल सरकार ने विकास के जो काम किए हैं, उन्हें देखते हुए मैं निश्चित रूप से कह सकता हूं कि बड़े अच्छे वोटों से BJP को जनता का आशीर्वाद मिलेगा और पार्टी एक बार फिर हिमाचल में सरकार बनाएगी।
भास्कर : मोदी को BJP एक ब्रांड की तरह पेश कर रही है। हिमाचल के हालात अलग है। यहां मोदी और डबल इंजन सरकार की बात BJP को कितना फायदा दे पाएगी?
शांता कुमार : इस चुनाव में चार बातें हिमाचल के लिए पहली बार हुई हैं। पहली बात नरेंद्र मोदी के रूप में ऐसे प्रधानमंत्री जो दुनिया के 190 देशों के प्रधानमंत्रियों में सबसे योग्य और सबसे लोकप्रिय हैं, वो हिमाचल को अपना दूसरा घर समझते हैं। वह हिमाचल की हर मदद कर रहे हैं।
दूसरी बात- एक छोटे से प्रदेश के युवा नेता जगत प्रकाश नड् दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। तीसरी बात- एक योग्य और शरीफ छवि वाले जयराम ठाकुर आज हिमाचल का नेतृत्व कर रहे हैं। चौथी बात- मेरे प्रदेश का नौजवान होनहार नेता अनुराग ठाकुर देश के मंत्रिमंडल में शानदार काम कर रहा है। इन चारों बातों की वजह से हिमाचल में पिछले पांच बरसों में बेहतर काम हुआ और आने वाले पांच साल में भी शानदार काम होगा। ये BJP के लिए सबसे अनुकूल परिस्थितयां है।
भास्कर : आप हालात अनुकूल बता रहे हैं जबकि BJP को ऐड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है। पार्टी में असंतोष थम नहीं रहा। अंदरखाते एंटी इनकमबेंसी है। कर्मचारी और युवा नाराज हैं। महंगाई का मुद्दा है। ऐसे में पार्टी किस तरह जनता को समझा पाएगी?
शांता कुमार : देखिए, चुनाव तो चुनाव है और मैं कह रहा हूं कि किसी भी प्रकार की लापरवाही अंतिम क्षण तक नहीं होनी चाहिए। हमें पूरी ताकत लगानी चाहिए। बाकी कुछ बातें ऐसी हुई हैं, जिससे हम लोग चिंतित हैं। कुल मिलाकर BJP कांग्रेस से कहीं आगे है। कांग्रेस का दिल्ली में भी बुरा हाल है और हिमाचल में भी बुरा हाल है। कांग्रेस तो हैडलैस है। हालांकि BJP में भी कहीं-कहीं कुछ बातें हुईं है, जो नहीं होनी चाहिए।
भास्कर : आज की सियासत में जनबल और धनबल पर क्या कहेंगे?
शांता कुमार : चुनाव वही जीतेगा, जिसके पास जनबल अधिक होगा। केवल धन से चुनाव नहीं जीता जा सकता। BJP के पास साधन भी है और जनबल भी है।
भास्कर : इस बार BJP कितनी सीटें जीतेगी?
शांता कुमार : जो हालात आज हैं, उसमें मुझे लगता है कि BJP को पिछले चुनाव के मुकाबले अधिक सीटें मिलेगी। सरकार भी हमारी बनेगी। कांग्रेस का हाल बुरा है।
किस्सा सुनाकर अपनी जेल यात्रा को याद किया
शांता कुमार उस दौर के राजनेता है जब लोग मीलों पैदल चलकर चुनाव प्रचार करते थे। आज तो गाड़ियों के काफिले और हेलिकॉप्टर है। शांता कुमार ने कहा कि परिवर्तन सृष्टि का नियम है। अब सभी पार्टियों के पास साधन है। बाकी पहले की राजनीति तो सेवा के लिए थी।
इसके बाद शांता कुमार एक लंबी सांस लेकर 1953 का किस्सा सुनाने लगे। वह बोले- 1953 में कश्मीर आंदोलन में मैंने सत्याग्रह किया, जेल भी गया। उस समय गुरदासपुर जेल में हम पांच-छह सौ लोग बंद थे। हमें कहा गया कि जिनकी उम्र 19 साल से कम है, उन्हें हिसार जेल भेजा जाएगा। हम सब डर गए कि जून में हिसार में तो बहुत गर्मी होगी। इसलिए कोई हमारी उम्र पूछता तो हम 21-22 साल बता देते।
तब सरकार ने डॉक्टर बुलाकर जांच करवाई और 19 साल से कम उम्र के हम 20 लोगों को हिसार पहुंचा दिया।
मैं आंख बंद करके आज सोचता हूं कि 19 साल की उस उम्र में कोई डर नहीं था। किसी प्रकार की निराशा नहीं थी। समर्पित कार्यकर्ता थे। पैसा है या नहीं, गाड़ी है नहीं, कोई फर्क नहीं पड़ता था। आज जमाना बदल गया है। अब साधन हैं लेकिन साधनों का उपयोग मर्यादा में ही करना चाहिए।
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