हिमाचल विधानसभा चुनाव के लिए मतगणना आठ दिसंबर को होगी। चुनाव नतीजों के बाद अलग-अलग पार्टियों के कैंडिडेट्स पर इलेक्शन कमीशन की टीमों की विशेष नजर रहेगी। चुनाव नतीजों के बाद विजयी घोषित किए गए किसी नेता ने अगर विजयी जुलूस निकाला या जश्न मनाया तो उस पर खर्च होने वाली रकम संबंधित नेता के इलेक्शन खर्च में जोड़ी जाएगी।
चुनाव आयोग पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि सभी पार्टी उम्मीदवारों के इलेक्शन एक्सपेंस में मतगणना के दिन तक के खर्च जोड़े जाएंगे। इस विधानसभा चुनाव में हर कैंडिडेट के लिए खर्च की सीमा 40 लाख रुपए है। 2017 के चुनाव में यह 28 लाख रुपए थी। अगर जांच-पड़ताल के दौरान किसी उम्मीदवार का खर्च 40 लाख रुपए से अधिक निकला तो उसके खिलाफ चुनाव आयोग के नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
हिमाचल विधानसभा चुनाव के लिए काउंटिंग 8 दिसंबर को होगी। चुनाव नतीजे आने के बाद यदि किसी कैंडिडेट ने विजय जुलूस निकाला तो उसका खर्च संबंधित उम्मीदवार के खाते में जुड़ेगा। इन खातों की जांच इलेक्शन कमीशन करेगा। मतगणना से एक दिन पहले चुनाव आयोग के ऑब्जर्वर और अकाउंटिंग टीमें अपनी ड्यूटी संभाल लेंगी। काउंटिंग वाले दिन यह टीमें सभी कैंडिडेट्स पर नजर रखेंगी।
विजय जुलूस पर नजर रहेगी
चुनाव आयोग के निर्देशानुसार, उसकी टीमें नेताओं के विजय जुलूस पर नजर रखेगी और उस पर होने वाले खर्च का पता लगाएंगी। निर्वाचन विभाग अलग-अलग पॉलिटिकल पार्टी के प्रतिनिधियों के साथ मीटिंग करके हर चीज के दाम पहले ही तय कर चुका है। विजय जुलूस में इनमें से जिन-जिन चीजों का इस्तेमाल होगा, उसकी असेस्मेंट चुनाव आयोग की टीमें करेंगी।
फूलमाला से लेकर बैंड तक का रेट तय
चुनाव आयोग ने बैंड अथवा ढोली बुलाने की सूरत में एक हजार रुपए प्रतिव्यक्ति के हिसाब से खर्च तय किया है। फूलमालाओं के रेट भी 35 रुपए से लेकर 70 रुपए तक तय किए गए हैं। इसी तरह मिठाईयों के दाम भी चुनाव आयोग तय कर चुका है।
शिमला के डीसी और जिला निर्वाचन अधिकारी आदित्य नेगी ने कहा कि विजयी जुलूस में इस्तेमाल होने वाली सामग्री जैसे झंडे, बैनर, गाड़ी इत्यादि का खर्च उम्मीदवार के खर्च में जोड़ा जाएगा।
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