हिमाचल में कांग्रेस के नाराज नेताओं ने 11 सीटों पर पार्टी के अधिकृत उम्मीदवारों के खिलाफ चुनाव लड़ने की तैयारी कर ली है। पार्टी का टिकट नहीं मिलने पर रुष्ट नेताओं ने नामांकन पत्र भर दिए हैं। अब पार्टी के सामने इन नेताओं को मनाने को चुनौती रहेगी।
जय राम सरकार का तंबू उखाड़ने का दावा करने वाली कांग्रेस के लिए यह अच्छा संकेत नहीं है। कांग्रेस अगले 4 दिन में इन्हें नहीं मना पाई तो सीधे तौर पर बगावत वाली सीटों पर पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है। पार्टी के पास इन्हें मनाने के लिए 29 अक्टूबर तक का वक्त बचा है।
वीरभद्र सिंह के गृह क्षेत्र में भी झटका
कांग्रेस को सबसे बड़ा झटका स्व. वीरभद्र सिंह के गृह क्षेत्र रामपुर में माना जा रहा है। यहां पर कांग्रेस पार्षद विशेषर लाल बागी हो गए हैं। वहीं भाजपा ने युवा चेहरा कौल नेगी को मैदान में उतारा है। ऐसे में विशेषर के निर्दलीय लड़ने से कांग्रेस प्रत्याशी एवं मौजूदा विधायक नंदलाल के वोट बैंक में सेंध लग सकती है।
चौपाल में मंगलेट बढ़ा रहे किमटा की टेंशन
शिमला जिला के चौपाल से कांग्रेस के 2 बार के विधायक डॉ. सुभाष मंगलेट भी बागी हो गए हैं। उनके मानने की भी कम ही संभावनाएं हैं, क्योंकि यहां पर कांग्रेस प्रत्याशी रजनीश किमटा बिना नाम लिए धमकी दे चुके हैं।
डॉ. मंगलेट ने नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है। उनके चुनाव लड़ने से चौपाल में तिकोना मुकाबला होगा।
सुलह में जगजीवन पाल की सिपहिया को चुनौती
कांगड़ा जिला के सुलह विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विधायक जगजीवन पाल पार्टी से बागी हो गए हैं। इन्होंने भी पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी जगदीश सिपहिया के खिलाफ नामांकन भरकर चुनावी ताल ठोक दी है। जगजीवन पाल नहीं मानें तो पार्टी को निश्चित तौर पर नुकसान झेलना पड़ेगा।
ठियोग में कांग्रेस के दो-दो बागी
प्रदेश की सबसे हॉट सीट बन रही ठियोग में भी बगावत कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा सकती है। यहां विजय पाल खाची और इंदू वर्मा दोनों नेताओं ने निर्दलीय नॉमिनेशन फाइल किए हैं। हालांकि इंदू वर्मा 2 माह पहले ही कांग्रेस में शामिल हुई हैं, लेकिन विजय पाल खाची का बागी होना कांग्रेस प्रत्याशी कुलदीप राठौर के लिए ज्यादा मुश्किलें पैदा कर सकता है।
अर्की में होली लॉज के करीबी राजेंद्र बागी
अर्की सीट से होली लॉज के करीबी राजेंद्र ठाकुर ने निर्दलीय नामांकन भरकर कांग्रेस प्रत्याशी संजय अवस्थी की टेंशन बढ़ा दी है। राजेंद्र के चुनाव लड़ने से ब्लॉक कांग्रेस का वोट भी बंट सकता है। खासकर वीरभद्र सिंह खेमा सुक्खू गुट के संजय अवस्थी को झटका दे सकता है।
पच्छाद में गंगू राम बने "मुसाफिर'
पच्छाद में कांग्रेस ने पूर्व में भाजपा नेत्री रही दयाल प्यारी को टिकट दिया है। दयाल प्यारी को 2019 के विधानसभा उप चुनाव में अच्छे वोट मिले। इसे देखते हुए कांग्रेस हाईकमान ने पूर्व विधायक गंगू राम मुसाफिर का टिकट काट दिया। मुसाफिर अब बागी हो गए हैं। मुसाफिर नहीं माने तो पार्टी को इसका नुकसान झेलना पड़ेगा।
पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप भी बागी हुए
चिंतपूर्णी में कांग्रेस ने पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप कुमार का टिकट काटकर सुदर्शन सिंह बबलू को उम्मीदवार बनाया है। टिकट नहीं मिलने से नाराज कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कुलदीप कुमार बागी हो गए हैं।
बिलासपुर में पूर्व विधायक भी बागी
बिलासपुर सदर से पूर्व विधायक तिलकराज ने भी निर्दलीय नामांकन पत्र भरा है। यहां पूर्व विधायक बंबर ठाकुर का टिकट बदलने की लंबे समय तक मांग उठती रही है। बिलासपुर के दिग्गज नेता रामलाल ठाकुर भी इनका विरोध करते हैं। अंत में पार्टी हाईकमान ने बंबर ठाकुर को ही प्रत्याशी बनाया है और पूर्व विधायक तिलकराज ने बगावत कर डाली है।
झंडुता में बीरू राम से चुनौती
झंडुता में कांग्रेस ने युवा चेहरे विवेक कुमार को टिकट दिया है। यहां भी टिकट नहीं मिलने पर बीरू राम पार्टी से बागी हो गए हैं।
आनी में परसराम के कारण मुश्किल में पड़ सकती कांग्रेस
कुल्लू जिला की आनी विधानसभा सीट से कांग्रेस ने होली लॉज के करीबी बंसी लाल को टिकट दिया है। इससे नाराज परसराम ने निर्दलीय नामांकन भरकर चुनौती दे डाली है। अंत समय तक बंसी लाल का टिकट बदलने की उम्मीद की जा रही थी, क्योंकि परसराम जमीन से जुड़े और धरातल से उठे हुए नेता हैं।
कांग्रेस को वीरभद्र की खल रही कमी
हिमाचल में कांग्रेस पार्टी 6 दशक में पहली बार वीरभद्र सिंह के बगैर चुनाव लड़ रही है। रूठे हुए और नाराज नेताओं को मनाने में वीरभद्र सिंह का कोई सानी नहीं था, लेकिन अब कांग्रेस को उनकी कमी खल रही है। उनके बगैर कांग्रेस के लिए सत्ता पाना आसान नहीं है। इसलिए सत्ता के रास्ते के लिए बागियों को मनाना होगा।
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