हिमाचल प्रदेश में कई विकास कार्य बजट उपलब्ध होने के बावजूद सिरे नहीं चढ़ पा रहे हैं। वन संरक्षण अधिनियम (FCA) और वन अधिकार अधिनियम (FRA) क्लीयरेंस समय पर नहीं मिलने से कई प्रोजेक्ट ड्रॉप करने पड़ रहे हैं।
राज्य में बीते कुछ सालों के दौरान सड़क और पुल परियोजनाओं के ऐसे 37 प्रोजेक्ट ड्रॉप करने पड़े हैं। इनमें 29 सड़क और 8 पुलों के प्रोजेक्ट शामिल है। इनके लिए राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा बाकायदा बजट मंजूर था।
FCA और FRA में समय पर क्लीयरैंस नहीं मिलने की वजह से इन प्रोजेक्ट को ड्रॉप किए जाने से संबंधित क्षेत्र की जनता को सड़क सुविधा से महरूम रहना पड़ा है। हिमाचल प्रदेश में सड़कों को लोगों की भाग्य रेखा कहा जाता है।
ऐसे राज्य में बजट उपलब्ध होने के बावजूद सड़क एवं पुलों का ड्रॉप होना जाना सिस्टम पर सवालियां निशान खड़े करता है। इसी तरह कुछ प्रोजेक्ट जमीन को लेकर स्थानीय लोगों के आपसी विवाद के कारण भी ड्रॉप बताए जा रहे हैं।
जाने कब-कब ड्रॉप हुआ प्रोजेक्ट
PWD महकमे के मुताबिक 1996-97 से 2010-11 तक सड़कों के 17 प्रोजेक्ट और पुलों के चार प्रोजेक्ट ड्रॉप हुए है। वर्ष 2011-12 में एक सड़क और दो पुल, 2012-13 में एक सड़क व एक पुल, 2013-14 में तीन सड़क, 2015-16 में दो सड़क, 2017-18 में एक सड़क, 2018-19 में तीन सड़क व एक पुल, 2019-20 में दो सड़क व एक पुल का प्रोजेक्ट को ड्राप किया गया।
जब औपचारिकताएं पूरी नहीं तो क्यों मंजूरी को भेजी DPR
इसलिए यह भी सवाल उठ रहे है कि सड़क एवं पुल की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बनाने और इसे नाबार्ड को भेजने से पहले जरूरी औपचारिकताएं पूरी क्यों नहीं की गई। इनके स्थान पर दूसरे प्रोजेक्ट नाबार्ड की मंजूरी को भेजे जा सकते थे।
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