हिमाचल में विधानसभा चुनाव की बिसात बिछी गई है, लेकिन इनमें 70 से 80 साल के बुजुर्ग नेता भी फिर से अपना भाग्य आजमा रहे हैं और इनके जोश को देखकर हर कोई हैरान है। कर्मचारी 58 या 60 साल की उम्र में रिटायर कर दिए जाते हैं और नेता 80 साल में भी MLA बनने के सपने देख रहे हैं। ऐसे नेताओं को इनका जोश बुढ़ापे में भी इन्हें "जवान' बनाता है।
कांग्रेस की ओर से नामांकन भरने वाले नेता एवं सोलन के विधायक कर्नल धनीराम शांडिल की उम्र सबसे ज्यादा 82 साल है। शांडिल का मुकाबला इनके ही दामाद डॉ. राजेश कश्यप से है। 2017 के चुनाव में भी धनीराम शांडिल अपने दामाद को हरा चुके हैं। वर्तमान में शांडिल कांग्रेस चुनाव घोषणा पत्र कमेटी के चेयरमैन की जिम्मेदारी भी निभा रहे हैं।
76 साल से कौल 9वीं बार MLA बनना चाहते हैं
कांग्रेस में शांडिल के बाद सबसे उम्र दराज प्रत्याशी द्रंग से कांग्रेस के 8 बार के विधायक एवं पूर्व मंत्री कौल सिंह ठाकुर हैं। इनकी उम्र 76 साल है। कौल सिंह का मुकाबला पूर्ण चंद ठाकुर के साथ है।
भरमौरी को सूखा पेड़ बता चुके BJP प्रत्याशी
चंबा के भरमौर से ठाकुर सिंह भरमौरी भी 75 साल के हैं। इन्हें चुनौती देने के लिए भाजपा ने IGMC के पूर्व MS डॉ. जनक राज को मैदान में उतारा है। भाजपा प्रत्याशी ने तो भरमौरी को सूखा पेड़ तक करार दिया और कहा कि सूखा पेड़ जनता को क्या देगा।
रामलाल भी 70 पार
बिलासपुर के श्री नयना देवी जी से कांग्रेस प्रत्याशी एवं मौजूदा विधायक ठाकुर राम लाल को पार्टी ने फिर से प्रत्याशी बनाया है। राल लाल की उम्र भी 71 साल हो गई है। इनकी टक्कर भाजपा के तेज तर्रार नेता रणधीर शर्मा से है।
BJP में महेश्वर सबसे उम्रदराज
भाजपा की ओर से सबसे उम्र दराज प्रत्याशी कुल्लू से 73 साल के महेश्वर सिंह हैं। इनका मुकाबला कांग्रेस के मौजूदा विधायक सुंदर सिंह ठाकुर से है। ज्वालामुखी से भाजपा विधायक रमेश चंद ध्वाला भी 71 साल के हैं। पार्टी ने इस इन्हें देहरा से टिकट दिया है। यहां इनका मुकाबला कांग्रेस के डॉ. राजेश और निर्दलीय होशियार सिंह से है।
शिमला के बुजुर्ग नेता की भाजपा ने बदली सीट
भाजपा ने शिमला शहरी के 70 साल के विधायक सुरेश भारद्वाज को इस बार कुसुम्पटी से टिकट दिया है। यहां इनकी टक्कर कांग्रेस के 2 बार के विधायक अनिरुद्ध सिंह से है।
युवाओं को कैसे मिलेगा अवसर
हिमाचल में कांग्रेस की टिकट नहीं मिलने से खासकर युवा वर्ग मायूस है। कांग्रेस की यंग ब्रिगेड ने टिकट नहीं मिलने से अपना काम तक रोक दिया है। यह स्वाभाविक भी है, क्योंकि जब 70 से 80 साल के नेता ही जब चुनावी मैदान नहीं छोड़ेंगे तो युवाओं को कैसे मौका मिलेगा।
बुजुर्गों का जोश राजनीति से अलविदा नहीं लेने देता
भाजपा में भी करीब 2 दर्जन सीटों पर बगावत हो रही है। इनमें से कुछ सीटों पर युवाओं को उतारकर बगावत को कम किया जा सकता था, लेकिन बुजुर्ग नेताओं का जोश राजनीति से हटने नहीं देता।
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