हिमाचल प्रदेश में हिमफेड ने बागवानों से सेब खरीद की अंतिम तिथि निर्धारित कर दी है। अब 30 अक्टूबर के बाद एमआईएस के तहत खरीद नहीं होगी। हालांकि अभी भी प्रदेश के कई हिस्सों से सेब सीजन का कार्य चल रहा है। कई जगहों से सेब मार्केट में पहुंचना है।
हिमफेड इस बार प्रदेश में सेब सीजन के दौरान अब तक 18 हजार 800 मीट्रिक टन सेब खरीद चुका है। पिछले सीजन के मुकाबले यह 12 हजार 465 मीट्रिक टन अधिक है। मौजूदा सेब सीजन में हिमफेड ने ज्यादा सेब खरीद की है। हिमफेड 120 विभिन्न केंद्रों से प्रदेश भर में ही बागवानों से सेब खरीद रहा है। सीजन में ओलावृष्टि ज्यादा होने से फसल पर भी प्रभाव पड़ा है। इससे फसल ज्यादा दागी होने से बागवान सेब बेचने के लिए हिमफेड से ज्यादा संपर्क कर रहे हैं।
5 लाख से ज्यादा बोरियों में खरीदा सेब
हिमफेड ने सेब सीजन में बागवानों से 5 लाख 37 हजार बोरियों में 18 हजार 80 मीट्रिक टन सेब खरीदा है। पिछले साल इसी समय तक 6 हजार 335 मीट्रिक टन सेब की खरीदी हो चुकी थी। इस साल 25 हजार मीट्रिक टन सेब खरीदी का लक्ष्य रखा गया है। पिछले साल कुल 19 हजार मीट्रिक टन सेब खरीदा गया था।
ओलावृष्टि से सेब की फसल को खासा नुकसान
प्रदेश में कई स्थानों पर ओलावृष्टि से फसल को खासा नुकसान हुआ है। यहां तक कि सेब दागी हो गया। इसलिए हिमफेड में इस बार ज्यादा सेब खरीदा गया है। अब बागवानों को अपने दागी सेब को जल्द तोड़ना होगा, ताकि 30 अक्टूबर से पहले हिमफैड को फसल बेच सकें।
चार जिलों में हो रही खरीद
किन्नौर जिले के अलावा शिमला, मंडी और कुल्लू में हिमफेड के खरीद केंद्र खोले गए हैं। सेब खरीद सरकार के एमआईएस के तहत साढ़े नौ रुपए प्रति किलो की दर से की जा रही है। इसके बाद हिमफेड सेब को नीलामी के माध्यम से बाजार में बेचेगा। इसमें प्रावधान किया गया है कि सेब का साइज बेहतर तरीके का हो और बहुत अधिक दागी न हो।
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