हिमाचल कैडर के IPS अरविंद दिग्विजय नेगी आतंकियों से दस्तावेज शेयर करने के दोषी पाए गए हैं। राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) की जांच में इस बात की पुष्टि हुई है कि नेगी ने दस्तावेज ओवरग्राउंडेड वर्कर के जरिए लीक किए। नेगी को इसी साल 18 फरवरी को शिमला से अरेस्ट किया गया था।
IPS अरविंद नेगी राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) में 11 साल तक अहम इन्वेस्टिगेशन में शामिल रहे। नेगी पर आरोप है कि उन्हें जम्मू-कश्मीर में टेरर फंडिंग रैकेट तोड़ने का कार्य सौंपा गया था, लेकिन वह खुद इसमें शामिल हो गए। अरविंद पर आराेप था कि गाेपनीय दस्तावेज पिछले साल अरेस्ट हो चुके खुर्रम परवेज के जरिए आतंकी संगठन लश्कर तक पहुंचे थे। खुर्रम परवेज तक ये दस्तावेज अरविंद ने ही लीक किए थे। NIA ने जांच में पाया है कि अरविंद दिग्विजय नेगी ने ओवरग्राउंडेड वर्कर के जरिए ये दस्तावेज लीक करवाए। जांच में अरविंद नेगी के साथ 5 बाकी लाेग भी दाेषी पाए गए हैं। नेगी के खिलाफ जल्द ही चार्जशीट दाखिल की जाएगी।
NIA के लिए कर चुके हैं अहम इन्वेस्टिगेशन
किन्नौर आवास समेत कई जगह दी थी दबिश
2011 के आईपीएस बैच में पदोन्नत पुलिस अधिकारी नेगी को पिछले साल 6 नवंबर को NIA ने दर्ज एक मामले के संबंध में उन्हें 18 फरवरी 2022 को गिरफ्तार किया था। एनआईए ने मामले में पहले छह लोगों को गिरफ्तार किया था। वह सालों तक एनआईए में सेवाएं दे चुके हैं। 6 नवंबर 2021 को मामला दर्ज होने के बाद एनआईए ने 22 नवंबर को किन्नौर स्थित उनके आवास पर छापा मारा था। कुछ और जगहों पर भी दबिश दी थी।
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