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कल से लगभग आठ महीने के लंबें इंतजार के बाद काॅलेज खुलेंगे। ऐसे में अब फिर से वही चहल पहल काॅलेज कैंपस में देखने काे मिलेगी। काॅलेजाें में छात्राें काे बैठाने के लिए स्पेशल सीटिंग प्लान बनेगा। वहीं, साेशल डिस्टेंसिंग के तहत कैंपस में सेनिटाइजर और मास्क लगाना भी जरूरी किया गया है। काेविड की गाइडलाइन के मुताबिक ही कैंपस में छात्राें काे प्रवेश मिलेगा।
हालांकि, ये अभी तय नहीं है कि दूरदराज क्षेत्राें से आने वाले छात्राें काे हाॅस्टल दिए जाएंगें या नहीं। काॅलेज प्रबंधन की ओर से छात्राें काे कहा गया है की हाॅस्टल फिलहाल नहीं मिलेगा। क्याेंकि, काेविड-19 की गाइडलाइन्स के मुताबिक अभी हाॅस्टल में किसी काे नहीं रखा जा सकता है। वहीं, एचपीयू और शिमला शहर के सभी काॅलेजाें के हाॅस्टलाें काे अभी खाली रखा गया है।
यहां पर रिसर्च स्काॅलराें काे भी अब रहने की अनुमति नहीं हैं। काॅलेजाें में करीब 8500 स्टूडेंट और एचपीयू में 1600 स्टूडेंट हाॅस्टल में रहते हैं। सीमा काॅलेज के प्रिंसिपल प्राे. बृजेश चाैहान का कहना है कि हमने तैयारियां शुरू कर दी है। छात्राें काे कैंपस में काेविड के सभी नियमाें का पालन करवाया जाएगा।
इसलिए नहीं मिलेंगे हाॅस्टल
एमएचआरडी की ओर से साफ निर्देश है की छात्राें की भले ही एडमिशन करवा दाे, लेकिन एक साथ स्टूडेंट काे हाॅस्टल में नहीं रहने दिया जा सकता है। इस पर शिक्षा विभाग और हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी ने भी सभी काॅलेजाें काे निर्देश दिए हैं कि वे छात्राें काे इस बार हाॅस्टल अलाॅट न करवाएं। जब तक नई गाइडलाइन नहीं आती है, तब तक हाॅस्टल अलाॅट न करवाएं। अब काॅलेज खाेले जा रहे हैं, एेसे में दूरदराज क्षेत्र के छात्र कहां रहेंगे इस पर स्थिति साफ नहीं है।
ऑनलाइन पढ़ाई छात्राें काे समझ नहीं आ रही: प्राे. मदन
इस सत्र के छात्राें काे अभी तक कैंपस में एक दूसरे से मिलने का माैका नहीं मिला है। मार्च के बाद लगभग पूरी साल इस बार काॅलेज कैंपस से पूरी तरह राैनक गायब रही है। यह पहली बार हाे रहा है कि नए सत्र के छात्राें काे अपने सुनहरे काॅलेज के दिन ऑनलाइन पढ़ाई करके ही बिताने पड़े। ऐसे में छात्राें काे कैंपस से जाे नाॅलेज मिलती थी, वाे अभी तक नहीं मिल पाई है।
रूसा एक्सपर्ट प्राे. मदन मनकाेटिया का कहना है कि ऑनलाइन पढ़ाई में बच्चाें के साथ टीचर का सिर्फ आई टू आई कॉन्टैक्ट हाेता है, ऐसे में किस स्टूडेंट में क्या टैलेंट हैं, सामने नहीं आ पाता है। प्रथम वर्ष के छात्र अभी तक अपने टीचराें के बारे में नहीं जानते हैं। ऐसे में टीचर अपनी क्लास लगाकर औपचारिकता पूरी करेंगे और स्टूडेंट और टीचर के बीच का गैप बढ़ेगा।
ऑनलाइन कक्षाओं में ब्लैक बाेर्ड का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। छात्राें के पास सिग्नल कनेक्टविटी भी कम रहती हैं। क्याेंकि, ग्रामीण क्षेत्राें में सिग्नल काफी कम रहता हैं। ऑनलाइन पढ़ाई में सिर्फ सिलेबस काे पूरा करने पर फाेकस हाे रहा है, छात्राें काे समझ आ रहा है या नहीं, इसके लिए समय ही नहीं मिलता हैं। ऐसे में कैंपस खुलने से छात्राें काे फायदा मिलेगा।
संजाैली और आरकेएमवी में हुई है सबसे ज्यादा एडमिशन
शहर में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्टूडेंट की पहली पसंद बना है। इस बार भी एडमिशन के लिए अब तक चार हजार से अधिक एप्लीकेशन आई थी। यहां पर करीब 1100 सीटें भरी गई हैं। इसी तरह आरकेएमवी में भी 1500 से ज्यादा एप्लीकेशन आई। कॉलेज में कुल 1110 सीटें अलग अलग विषयों की भरी गई हैं।
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