हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले से कांग्रेस के दो बड़े नेताओं रामलाल ठाकुर और सुरेश चंदेल की ‘जुगलबंदी’ बनने के कई मायने निकल रहे हैं। दोनों नेताओं ने जहां भाजपा को कड़ी चुनौती देने के लिए एक सुर में हुंकार भरी है, वहीं खनन, नशा व वन माफिया को लेकर परोक्ष रूप से कांग्रेस के एक नेता को भी लपेटा है। इससे बिलासपुर, विशेष तौर पर सदर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस टिकट को लेकर घमासान मचने के आसार हैं।
मौजूदा समय में रामलाल ठाकुर बिलासपुर में कांग्रेस के सबसे सीनियर लीडर हैं। 5 बार विधानसभा में पहुंचकर वह कांग्रेस के हर कार्यकाल में मंत्री भी रह चुके हैं। वहीं भाजपा से कांग्रेस में आए सुरेश चंदेल हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से लगातार तीन बार सांसद रह चुके हैं। बिलासपुर सदर से 2012 का विस चुनाव उन्होंने भाजपा टिकट पर लड़ा था, लेकिन हार गए थे। 2017 में भाजपा ने उनका टिकट काट दिया था। सरकार बनने के बावजूद भाजपा में मान-सम्मान न मिलने से खफा होकर उन्होंने कांग्रेस जॉइन कर ली थी।
चुनाव से ठीक पहले ठाकुर व चंदेल की ‘जुगलबंदी’ कई नए समीकरणों की आहट मानी जा रही है। वर्तमान में बिलासपुर जिला से भाजपा के तीनों विधायकों की तुलना में उनका राजनीतिक अनुभव कहीं अधिक है। शनिवार को दोनों नेताओं ने जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में हुंकार भरते हुए अपने इरादे जाहिर कर दिए। राष्ट्रीय और राज्य स्तर के मुद्दों के साथ ही वे भाजपा के स्थानीय नेताओं की घेराबंदी में भी कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
प्रेस कॉन्फ्रेंस की अहम बात यह रही कि खनन, वन व नशा माफिया को लेकर परोक्ष रूप से सदर से कांग्रेस के ही एक पूर्व विधायक भी ठाकुर व चंदेल के निशाने पर रहे। उन्होंने कांग्रेस सेवादल के जिला महासचिव संदीप सांख्यान द्वारा गत अप्रैल माह में पुलिस को भेजी शिकायत की प्रतियां भी मीडिया को जारी की। इसमें पूर्व विधायक का सीधे तौर पर उल्लेख है। कांग्रेस के उक्त पूर्व विधायक का रामलाल ठाकुर के साथ लंबे समय से 36 का आंकड़ा है, जबकि सुरेश चंदेल भी सदर से ही टिकट के दावेदार हैं। टिकट की रेस में पूर्व विधायक को इस ‘जोड़ी’ की चुनौती भी मिलेगी।
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