हिमाचल में सरकार के खिलाफ मांगों को लेकर वोकेशनल टीचर्स सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और शुक्रवार को शिमला में मुख्यमंत्री से मिलने सचिवालय पहुंचे। अपने लिए स्थायी पॉलिसी की मांग कर रहें हजारों टीचर्स ने मुख्यमंत्री से गुहार लगाई कि उनके लिए भी सरकार कुछ सोचे।
वोकेशनल टीचर्स को हर महीने 20 हजार मिलते हैं लेकिन कई तरह के चार्ज लगाकर हाथ में 15 हजार 500 थमा दिए जाते हैं। इससे घर खर्च चलाना मुश्किल हो गया है। पूरे प्रदेश में 2 हजार के करीब टीचर्स इस उम्मीद से जॉब कर रहें हैं कि आज नही तो कल उनके लिए भी स्थायी नीति बनाई जाएगी।
टीचर्स ने जताई सरकार से उम्मीद
वोकेशनल टीचर सुचिता शर्मा का कहना है कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार कर्मचारी हित के लिए काम करने वाली सरकार है। उन्हें पूरी उम्मीद है कि वोकेशनल टीचर्स के लिए भी पॉलिसी बहाल की जाएगी।
वोकेशनल टीचर्स एसोसिएशन प्रेजिडेंट अश्विनी का कहना है कि उनका किसी निजी कंपनी के कर्मचारी की तरह शोषण हो रहा है। 9वीं से 12वीं की क्लास को पढ़ाने की जिम्मेदारी हमारी रहती है उसके बाद स्टूडेंट्स को किसी भी टूर पर ले जाने का जिम्मा भी हम पर होता है। इसके अलावा हमारे लिए छुट्टियों का भी कोई प्रावधान नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारी फंडिंग से 14% सर्विस चार्ज भी कंपनी ले लेती है, इस शोषण से आजादी मिलनी चाहिए।
'पॉलिसी के लिए सड़कों पर उतरने को मजबूर टीचर्स'
एसोसिएशन का कहना है कि एक शिक्षक अपने स्टूडेंट्स को बेहतर बनाने के लिए सारा दिन मेहनत करता है। वो चाहे रेगुलर टीचर हो या वोकेशनल दोनों काम कर रहे हैं। लेकिन इतना काम करने के बाद भी हमें अपने लिए पॉलिसी के लिए सड़कों पर उतरना पड़ रहा है।
पुरानी सरकार के सामने भी कई दफा इस मुद्दे को उठाया गया लेकिन आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला। एसोसिएशन का कहना है कि सोलन, चंबा, हमीरपुर, बिलासपुर हर जिले से आज वोकेशनल टीचर्स यहां पहुंचे है। एसोसिएशन का कहना है कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि नई सरकार उनके लिए पॉलिसी बहाल करेगी।
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