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स्मार्ट सिटी शिमला के हाल बद से बदतर:एंबुलेंस सड़क बनी नहीं, पीठ पर लाद कर मरीज पहुंचाए जा रहे अस्पताल

शिमला7 महीने पहले
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हिमाचल प्रदेश की स्मार्ट सिटी शिमला में कई वार्ड ऐसे हैं, जहां पर लोगों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। मज्याठ वार्ड में कई वर्षों से लोग एंबुलेंस मार्ग बनाने की मांग कर रहे, लेकिन हालत बद से बदतर हैं।

एंबुलेंस मार्ग न होने के कारण बीमार लोगों व बुजुगों को पीठ पर कुर्सी लगाकर अस्पताल व अन्य जगहों पर ले जाना पड़ रहा है। बीते दिन भी वार्ड में एक बुजुर्ग महिला को बीमार होने पर पीठ में उठाकर ले जाना पड़ा।

वार्ड में पिछले कई सालों से एंबुलेंस मार्ग बनाने की मांग की जा रही है, लेकिन किसी भी सरकार ने वार्ड के लोगों की इस मांग को नहीं सुना।

मज्याठ वार्ड के इसी रास्ते पर लोग पैदल चलते है।
मज्याठ वार्ड के इसी रास्ते पर लोग पैदल चलते है।

वार्डों को जोड़ती है 2 सड़कें
वार्ड से 2 मुख्य सड़कें जुड़ती हैं। इसमें एक मार्ग टुटू-पावर हाउस, जिसमें रेलवे लाइन बीच में आती है और दूसरा सड़क नालागढ़ मार्ग का जुड़ता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि एंबुलेंस मार्ग बनाने की मांग पिछले कई सालों से कर रहे हैं। निवर्तमान पार्षद भी इस एंबुलेंस मार्ग को बनाने के लिए पिछले 5 सालों से संघर्ष कर रहे हैं। केंद्र से लेकर प्रदेश सरकार के शहरी विकास मंत्री से मिले, लेकिन सरकार के 5 साल बीत जाने के बाद भी समस्या का हल नहीं हुआ है। लोगों ने सरकार से उम्मीद जताई है कि अब वार्ड की समस्या हल होगी।

एंबुलेंस सड़क को लेकर हो चुके 2 आंदोलन
एंबुलेंस सड़क को बनाने को लेकर पूर्व वार्ड पार्षद दिवाकर देव शर्मा की अगुवाई में 2 बड़े आंदोलन भी किए जा चुके हैं। एक बार रेल रोको आंदोलन में एकत्रित होकर ट्रेनों को रोका, जिसमें सरकार हरकत में तो आई और दिल्ली तक भी बात पहुंची, लेकिन फिर भी मार्ग नहीं बन पाया। अब यह यह मामला कोर्ट में भी विचाराधीन है।

दिवाकर दत पार्षद।
दिवाकर दत पार्षद।

लगता नहीं हम शहर में रहते हैं: पार्षद
मज्याठ के पार्षद दिवाकर देव शर्मा का कहना है कि हमें लगता ही नहीं है कि हम शहर में रहते हैं। हमारे हाल ऐसे हैं कि हम दूरदराज के किसी क्षेत्र में रहते हैं। लोगों को चढ़ाई में पैदल चलने को मजबूर होना पड़ता है। मरीजों को पीठ पर उठाकर हम अस्पताल पहुंचाते हैं। उनका कहना है कि सरकार ने 5 साल तक कुछ नहीं किया। लाेग यहां पर काफी परेशान हैं।