हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार पहले ही वरिष्ठ IAS की कमी से जूझ रही है। अब अफसरों के सेंटर डेपुटेशन पर जाने से सरकार मुश्किल में है। सुक्खू सरकार के 3 महीने के कार्यकाल में 3 IAS हिमाचल प्रदेश को छोड़कर सेंटर डेपुटेशन पर जा चुके हैं। 4 सीनियर ब्यूरोक्रेट पहले से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चल रहे हैं।
साल 2013 बैच की IAS एवं DC बिलासपुर देबश्वेता बनिक के सेंटर डेपुटेशन पर जाने के बाद प्रदेश में 112 IAS अधिकारी ही बचे हैं, जबकि प्रदेश में IAS की सैंक्शन काडर स्ट्रेंथ 153 है। देबश्वेता से पहले इसी साल प्रिंसिपल सेक्रेटरी रैंक के रजनीश और शुभाशीष पांडा भी सेंटर डेपुटेशन पर चले गए।
कभी 7 ACS रहे, आज एक भी नहीं
आलम यह है कि प्रदेश में कभी ACS (एडिशनल चीफ सेक्रेटरी) रैंक के 7 अधिकारी रहे हैं, आज एक भी ACS नहीं है। प्रिंसिपल सेक्रेटरी रैंक के भी 5 ही अफसर प्रदेश में पोस्टिड हैं।
6 IAS इसी साल रिटायर
IAS डॉ. अजय शर्मा फरवरी में ही रिटायर हो चुके हैं, जबकि राजीव शर्मा, अमिताभ अवस्थी, अक्षय सूद, अमित कश्यप, कल्याण चंद व राकेश शर्मा भी इसी साल रिटायर होंगे। जाहिर है कि सुक्खू सरकार को आने वाले दिनों में IAS की कमी से और ज्यादा जूझना पड़ेगा।
टॉप-10 ब्यूरोक्रेट्स में 4 प्रदेश से बाहर चिंता इस बात की है कि सीनियोरिटी में टॉप-10 IAS में से 4 प्रदेश से बाहर दूसरे राज्यों में सेवाएं दे रहे हैं। सीनियोरिटी में तीसरे नंबर के IAS अली रजा रिजवी, 5वें नंबर के के.संजय मूर्ति, 7वें नंबर से केके पंत और 8वें नंबर की अनुराधा ठाकुर भी प्रदेश से बाहर सेवाएं दे रही हैं।
IAS के कारण चुनौतीपूर्ण रहेगा 2023
IAS की कमी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि 2023 अफसरशाही के लिहाज से सुक्खू सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण रहने वाला है, क्योंकि ब्यूरोक्रेट्स किसी भी सरकार का आइना होते हैं, मगर राज्य में सीनियर IAS गिने-चुने रह गए हैं।
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