हिमाचल में UG रिजल्ट में हुई धांधली को लेकर छात्र सड़कों पर उतर गए हैं। शिमला शहर के सभी कॉलेज और यूनिवर्सिटी के SFI छात्रों ने ठेके पर पेपर चेकिंग का विरोध किया है। छात्रों ने पंचायत भवन से DC ऑफिस तक विरोध रैली निकालकर रोष जताया। छात्रों का कहना है कि यूनिवर्सिटी शिक्षा का व्यापारीकरण कर रही है। रिजल्ट छात्र की पूरी साल की मेहनत होती है, जिसे हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी ने आनन-फानन जारी कर दिया।
COE का कहना है कि जो छात्र अपने रिजल्ट से खुश नहीं हैं, उन्हें यूनिवर्सिटी रिवैल्युएशन कराने का ऑप्शन दे रही है। पूरी साल छात्र पढ़ाई पर पैसे खर्च करता है। उसके बाद अपने ही रिजल्ट के लिए पैसे देने पड़ते हैं।
यूनिवर्सिटी करा रही शिक्षा का व्यापारीकरण
SFI के जिला अध्यक्ष अनिल ठाकुर ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में जिस तरह की लूट और बैक डोर एंट्री कराई जा रही है। उसका ही परिणाम है कि छात्रों को सड़कों पर उतरना पड़ रहा है। पूरी साल की मेहनत को जब ठेके पर दिया जाता है तो इसी तरह के नतीजे आ सकते हैं। अब यूनिवर्सिटी प्रशासन का कहना है छात्र आंसर शीट फिर से चेक करा सकता हैं। एक पेपर के 300 रुपए फीस रखी गई है। जो छात्र हर सब्जेक्ट में फेल हैं, उसे घरवालों से पैसे मांगने पड़ेंगे।
छात्र संगठन ने ERP सिस्टम के खिलाफ उठाई आवाज
SFI वाइस प्रेसिडेंट नेहा शर्मा ने कहा कि छात्र संगठन लगातार ERP सिस्टम में व्याप्त कमियों को दूर करने की मांग कई सालों से कर रहे हैं। लेकिन यूनिवर्सिटी प्रशासन को छात्रों के भविष्य से कोई लेना देना नहीं। रिजल्ट खराब आने की वजह से प्रदेश के हजारों छात्र मानसिक तनाव झेल रहें हैं। उसके लिए सिर्फ और सिर्फ HPU जिम्मेदार है। अगर, समय से रिजल्ट की खामियों को दूर न किया गया तो प्रदेश के छात्र इकट्ठा होकर यूनिवर्सिटी का घेराव करेंगे।
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