कोरोना महामारी ने भारत के शिक्षा ढांचे को बहुत नुकसान पहुंचाया है। इस महामारी की वजह से न केवल देशभर में टीचरों की नौकरी गई, बल्कि स्कूलों में बच्चों का एनरोलमेंट भी गिरा। सैकड़ों स्कूलों पर ताला जड़ने की नौबत आई।
इसका खुलासा यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इन्फोर्मेशन सिस्टम फॉर एजूकेशन रिपोर्ट (UDISE) की 2021-22 की रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, देश में कोरोना काल में 2.80 लाख टीचरों की नौकरी गई। वर्ष 2020-21 तक देशभर में 97.87 लाख टीचर थे, 2021-22 में इनकी संख्या गिरकर 95.07 लाख रह गई।
सरकारी स्कूलों में भी 0.9 फीसदी टीचरों की नौकरियां गईं, जबकि सरकारी अनुदान से चल रहे स्कूलों में 1.45 फीसदी टीचरों, निजी स्कूलों में 2.94 फीसदी और अन्य स्कूलों में 8.3% टीचर्स नौकरी जाने के बाद घर बैठने को मजबूर हुए।
बच्चों का एनरोलमेंट भी गिरा
कोरोना काल में 2020-21 के दौरान स्कूलों में बच्चों के एनरोलमेंट में भी गिरावट देखी गई। प्री-प्राइमरी सेक्शन में बच्चों का पंजीकरण 11.5 लाख कम हो गया था। वहीं शैक्षणिक सत्र 2021-22 में जब देश में कोरोना वैक्सीन लगनी शुरू हुई, उसके बाद बच्चों का पंजीकरण में हल्का उछाल आया।
रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2021-22 में प्राइमरी से हायर सेकेंडरी तक 25.27 करोड़ बच्चों ने दाखिला लिया, जो 2020-21 की तुलना में 19.36 लाख स्टूडेंट ज्यादा था।
20 हजार स्कूल बंद
कोरोना से पहले यानी शैक्षणिक सत्र 2020-21 के दौरान देश में 15.09 लाख स्कूल चल रहे थे। कोरोना की मार से 20 हजार स्कूल बंद करने पड़े और इन पर ताला जड़ने के बाद स्कूलों की संख्या गिरकर 14.89 लाख रह गई।
बोर्डिंग स्कूलों की तादात बढ़ी
देश में कोरोना काल में बेशक सरकारी और निजी स्कूल बंद हुए हैं, लेकिन रेजिडेंशियल फैसिलिटी वाले बोर्डिंग स्कूलों की तादात में काफी उछाल आया है। कोरोना से पहले तक देश में 34,946 स्कूल थे। वर्ष 2021-22 में इनकी संख्या बढ़कर 45,369 हो गई।
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