हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में पानी के संकट के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। शिमला के लिए गिरी नदी से आ रही पानी की मेन लाइन को फागू से पहले बीच में ब्रेक कर निर्माणाधीन होटल के लिए पानी सप्लाई किया जा रहा था। जिसकी वजह से शिमला को 32 MLD पानी में से सिर्फ 24 MLD पानी ही मिल रहा था। जबकि नियम यह है कि किसी भी शहर की पानी की मेन लाइन को बीच में ब्रेक नहीं किया जा सकता है और न ही उससे किसी को पानी की सप्लाई दी जा सकती है।
ऐसे लगा मामले का पता
ठियोग एरिया में पानी की कमी को लेकर आंदोलन कर रहे लोगों ने वहां के स्थानीय विधायक राकेश सिंघा को पानी की मेन लाइन में ब्रेक होने की जानकारी दी थी। जानकारी जुटाने पर पता लगा कि पानी की मेन लाइन शिमला को जाती है। लाइन में छेद करके उस एरिया में बन रहे निजी होटल के निर्माण कार्य के लिए पानी चोरी करके दिया गया है। इसके बाद विधायक ने ठियोग थाने में SJPNL के MD धर्मेंद्र गिल के खिलाफ FIR दर्ज करवाई है।
मामले की जांच करवाई जा रही: MD
शिमला के पूर्व मेयर संजय चौहान ने SJPNL के MD धर्मेंद्र गिल और जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह व स्थानीय विधायक के इस्तीफे की मांग की है। साथ ही स्टाफ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने को भी कहा है। वहीं, SJPNL के MD धर्मेंद्र गिल का कहना है कि मेरे ध्यान में अभी मामला आया है। राइजिंग मेन से हम किसी काे कनेक्शन नहीं देते हैं। अगर ऐसा हुआ है ताे कार्रवाई हाेगी। मैं जल्द ही इस मामले की जांच करवा रहा हूं।
कंपनी 8 MLD पानी की नहीं दे पाई जानकारी
शिमला में पानी संकट के मामले पर मंगलवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी। इस दौरान जल प्रबंधन निगम ने कोर्ट को बताया था कि पानी सप्लाई करने वाली परियोजनाओं से 32 MLD पानी पंप हो रहा है। लेकिन, शहर को सिर्फ 24 MLD पानी ही दिया जा रहा है। ऐसे में कोर्ट ने निगम से 8 MLD पानी की सप्लाई के बारे में विस्तृत जानकारी मांगने के साथ ही SJPNL को फटकार लगाई थी। कोर्ट की फटकार के दो दिन बाद भी कंपनी 8 MLD पानी की सप्लाई के बारे में नहीं बता पाई है।
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