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शिमला शहर में चौबीस घंटों पानी देने के लिए नई लाइनें बिछेंगी। इसके साथ ही नए टैंक भी बनाए जाएंगे। करीब 270 करोड़ की लागत से होने वाले इस कार्य के लिए एसजीपीएनएल की निदेशक मंडल की बैठक में एडमिनिस्ट्रेटिव अप्रूवल दी है। इसके तहत इस काम को ठेके पर दिया जाएगा और इसके लिए टेंडर किए जाएंगे।
शिमला शहर में लोगों को चौबीस घंटों पानी देने का काम निजी कंपनी करेगी। इसके लिए शहर में पानी के टैंकों के साथ-साथ जिन जगहों पर अतिरिक्त लाइनें बिछाने की जरूरत हैं, वहां भी नई लाइनें बिछाई जाएंगी। शिमला शहर में चौबीस घंटे पानी देने का ट्रायल किया गया है। संजौली के सांगटी वार्ड में 24 घंटे पानी ट्रायल के आधार पर पानी दिया गया।
इसके लिए नई लाइनें भी बिछाई गई। इसके बाद मालरोड के एक हिस्से में भी यह ट्रायल किया गया। अब इसे पूरे शहर में लागू किया जाना है। ऐसे में इसके लिए पानी की नई लाइनें और टैंक बनाने का काम किया जाएगा। इसके लिए विभिन्न वार्डों में अधोसंचना तैयार की जाएगी।
इसके बाद चरणबद्ध तरीके से यह काम वार्डों में किया जाएगा। एसजेपीएनएल बोर्ड मेंबर दिग्विजय सिंह का कहना है कि बीओडी में शहर में चौबीस घंटे पानी उपलब्ध करवाने के काम के लिए एडमिनिस्ट्रेटिव अप्रूवल दी गई है। इसके लिए नए लाइनें, टैंक व अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाएगा।
सतलुज से लाया जाएगा पानी
शिमला शहर में चौबीस घंटे पानी देने लिए 67 एमएलडी पानी सतलुज नदी से उठाया जाएगा। हालांकि इसके लिए टेंडर किए गए थे, मगर कोरोना के कारण इसके लिए कोई भी सामने नहीं आया था। ऐसे में इसके लिए फिर से टेंडर किए जाएंगे। इसको भी मंजूरी दी गई है। इस तरह से टेंडर से फर्म का चयन किया जाएगा।
इसके बाद इससे लाइनें और टैंकों सहित अन्य आधारभूत ढांचे को पूरा किया जाएगा। इससे पहले 2018 में सुन्नी के चाबा से 10 एमएलडी पानी गुम्मा पंपिग स्टेशन तक पहुंचाया गया था। गुम्मा से यह पानी शिमला शहर के लिए जरूरत के हिसाब से भेजा जा रहा। इससे शिमला शहर में पानी की कमी नहीं हुई।
इस योजना को 140 दिनों में करीब 70 करोड़ रुपये की लागत से पूरा किया गया। वहीं अब सतलुज नदी से 67 एमएलडी पानी शिमला लाया जाएगा। इस परियोजना के पूरे होने से पूरे शहर के लिए चौबीस घंटे पानी की व्यवस्था हो सकेगी। इससे 2050 तक की शिमला शहर की पानी की जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा।
गुम्मा परियोजना का होगा मैकेनाइजेशन
शिमला शहर में पानी की सप्लाई करने वाली सबसे बड़ी गुम्मा परियोजना का मैकेनाइजेशन होगा। इससे यह परियोजना ऑटोमैटिकली चलने लगेगी। परियोजना को ऑपरेट करने के लिए कर्मचारियों की जरूरत नहीं रहेगी, यह काम ऑटोमैटिकली होने लगेगा। यही नहीं पानी की अगर गुणवत्ता पर सही नहीं है तो यह परियोजना काम करना बंद कर देगी। इसके लिए भी एसजेपीएनएल की बीओडी में अप्रूवल दी गई है। वहीं गिरी परियोजना के भी मैकेनाइजेशन किया जाएगा।
पानी के वितरण का काम भी निजी हाथों में होगा
शिमला शहर में चौबीस घंटे पानी देने का काम भी निजी हाथों में होगा। इसके लिए एसजेपीएनएल ने पहले भी टेंडर किए थे, लेकिन बताया जा रहा है कि टेंडर में केवल दो ही कंपनियां शामिल हुई थीं। इसके बाद अब फिर से इसके लिए टेंडर होंगे। इस तरह इस पूरे काम के लिए टेंडर किए जाएंगे।
जहां बिल आए हैं ज्यादा, घर जाकर मीटरों की होगी जांच
शिमला| शिमला में पानी के बिलों की शिकायत की जांच के लिए एसडीओ की अध्यक्षता में कमेटी बनाए जाएगी। यह उन लोगों के घरों में जाकर पानी के मीटरों की जांच करेगी जहां बिलों की शिकायत ज्यादा है। एसजेपीएनएल की बीओडी में यह फैसला लिया गया। बीडीओ में बताया गया कि शिमला में अभी तक 18667 बिल जेनरेट किए गए हैं।
इनमें 100 बिल 25 हजार रुपए से ज्यादा है और इनमें भी 95 लोगों के एरियर हैं। वहीं 215 लोग ऐसे हैं, जिनके बिल 10 हजार रुपए से 25 हजार रुपए तक हैं, इनमें भी 197 लोगों के एरियर हैं। इसी तरह 7893 लोगों के बिल 400 रुपए से लेकर 10 हजार रुपए तक आए हैं।
वहीं 10459 लोगों के बिल 400 रुपए से भी कम हैं। हालांकि कमेटी शिकायतों की जांच करेगी और इसके आधार पर अगर कहीं बिल ज्यादा आए हैं तो उनको दुरुस्त किया जाएगा।
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